यहां देवता की पूजा करने वाले पंडित की एक वर्ष में हो जाती थी मौत

Edited By Punjab Kesari, Updated: 14 Mar, 2018 12:25 PM

god here worshipers of pandit was killed in a year

कहते हैं कि यहां देवता की पूजा करने के लिए जो भी पुजारी राजा मनोनीत करता था, वह साल के अंदर मर जाता था। मंगलवार को दाड़लाघाट के कोटला पूजरिया गांव के श्री शिवगण देवता 3 महीने के लिए क्षेत्र के भ्रमण पर निकल गए हैं। शिवगण देवता अर्की उपमंडल के अलावा...

अर्की (सुरेन्द्र): कहते हैं कि यहां देवता की पूजा करने के लिए जो भी पुजारी राजा मनोनीत करता था, वह साल के अंदर मर जाता था। मंगलवार को दाड़लाघाट के कोटला पूजरिया गांव के श्री शिवगण देवता 3 महीने के लिए क्षेत्र के भ्रमण पर निकल गए हैं। शिवगण देवता अर्की उपमंडल के अलावा सोलन, शिमला, बिलासपुर, मंडी व कुल्लू जाएंगे। देवता के बजीर पवन व प्रेम चंदेल ने बताया कि देवता भगवान शिव के गणों में से एक हैं और साथ में माता काली व मां जालपा हैं जो आसुरी शक्तियों को भस्म करती हैं। शिवगण देवता राजा के महल के दर पर रहते थे। किंवदंती के अनुसार गणदेवता बाघल के राजा (चंदेल वंश) के आराध्य देवता हैं। 
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कहते हैं कि देवता की पूजा करने के लिए जो भी पुजारी राजा मनोनीत करता था, वह साल के अंदर मर जाता था। इस डर से भूमति, बातल, साानण व मांजू के पंडित देवता की पूजा करने से डरते थे। राजा के आदेश से तो उन्हें देवता की पूजा करने के लिए जाना ही पड़ता था। अगर कोई इंकार कर देता था तो राजा उसे मार देता था। तब कहीं से एक पंडित आया जो मस्तमौला और अकेला था। उसके पास माता काली व ज्वाला माता की मूर्ति थी और वह माता का भक्त था। एक दिन वह अर्की से निकल रहा था। रात होने के कारण चौगान के पास से गया तो कोई उसे राजा के पास ले गया। राजा ने उससे पूछा कि तुम शिवगण की पूजा करोगे तो पंडित ने हां कर दी। वह शाम को शिवगण व माता काली की पूजा करने लगा। इस प्रकार राजा बहुत खुश हुआ। कई सालों के बाद राजा ने उस पंडित को आदेश दिया कि वह देवता को बाघल रियासत से बाहर ले जाए। 
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राजा का आदेश मानकर पंडित ने किलटे में देवता को उठाया और पैदल अर्की से चल पड़ा। चलते-चलते वह कोटला स्यार पहुंचा तो उसे लघुशंका लगी और उसने किलटे को पेड़ के नीचे रख दिया। लघुशंका करने के बाद जब वह उसे उठाने लगा तो वह उसे नहीं उठा सका और वहीं पर देवता विराजमान हो गए। राजा को जैसे ही पता चला कि देवता शिवगण स्यार के गांव में स्थापित हो गए हैं तो राजा ने उस बात पर लोगों को 5 गांव दे दिए। इस प्रकार पंडित कोटला पूजरिया में बस गया। कहते हैं कि सच्चे मन से जो भी देवता का ध्यान करते हैं देवता उनकी मनोकामना पूरी करते हैं। मनोकामना की पूर्ति होने पर लोग देवता को अपने घर पर बुलाते हैं। देवता की यात्रा जून में घनागुघाट के मेले को समाप्त हो जाती है व 3 जून से मंदिर में भागवत कथा की जाती है। हर महीने संक्रांति को मंदिर के बाहर से आए हुए लोगों के लिए देवता से पूछ डाली जाती है व उनकी समस्या का हल किया जाता है। शिवगण देवता कमेटी के प्रधान संत राम, पुजारी बालक राम, मंसा राम व बजीर ने बताया कि देवता के मंदिर का काम गांववासियों की मदद व मंदिर कमेटी की तरफ से किया जा रहा है। 

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