हिमाचल की राजनीति में दल बदलने का खेल पुराना

Edited By Ekta, Updated: 26 Mar, 2019 11:13 AM

game changers in himachal politics are old

हिमाचल की राजनीति में एक दल से दूसरे दल में नेताओं द्वारा पलटी मारने का खेल पुराना है। एक दल में दाल न गलते देख यहां कई दिग्गज नेता समय-समय पर पलटी मारते रहे हैं। कांग्रेस हो या भाजपा, दोनो की दलों के कई वरिष्ट नेता दल बदल कर अपनी राजनीति गोटियां...

शिमला (पत्थरिया/ राक्टा): हिमाचल की राजनीति में एक दल से दूसरे दल में नेताओं द्वारा पलटी मारने का खेल पुराना है। एक दल में दाल न गलते देख यहां कई दिग्गज नेता समय-समय पर पलटी मारते रहे हैं। कांग्रेस हो या भाजपा, दोनो की दलों के कई वरिष्ट नेता दल बदल कर अपनी राजनीति गोटियां फिट करते आए हैं। मुख्य रुप से कई नेता कांग्रेस, भाजपा, आजाद या फिर हिमाचल विकास कांग्रेस का दामन थामकर चुनावी समर में उतरे हैं। दल बदलने में माहिरों में सबसे बड़ा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम समय का रहा है। राजनीति में उनके शार्गिद रहे मौजूदा आई.पी.एच.मंत्री महेंद्र सिंह भी उनकी बराबरी करते आए हैं। पूर्व मंत्री गुलाब सिंह, मनसा राम, प्रकाश चौधरी, महेश्वर सिंह व मारकंडा भी दल बदल चुके हैं। 

सुखराम वर्ष 1967 से 1996 तक वह कांग्रेस में रहे। इस बीच आरोपों में घिरने के बाद कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किए जाने पर उन्होंने उन्होंने वर्ष 1997 में हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी बनाई। उनकी इस पार्टी के कारण सत्ता की दहलीज तक पहुंची कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पड़ गया था। मंडी जिला की सियासत में सुखराम लंबे समय से अपना प्रभाव रखते आ रहे हैं और केंद्र की राजनीति में चले जाने पर उन्होंने 1993 में अपने बेटे अनिल शर्मा को मंडी सदर से चुनाव में उतारा और उन्हें वीरभद्र सरकार में राज्यमंत्री बनवाने में सफल भी रहे। बतौर हिविकां प्रमुख उन्होंने 1998 में खुद मंडी सदर से चुनाव लड़ा और जीते भी। तब हिविकां से समर्थन से राज्य में भाजपा सरकार बनी थी। जिसके एवज में सुखराम अपने बेटे अनिल शर्मा को राज्यसभा में भेजने में कामयाब रहे थे।

2003 के विधानसभा चुनाव में पुन: वह जीते लेकिन कांग्रेस से उन्होंने दूरी बनाए रखी और भाजपा ने उन्हें नजदीक नहीं आने दिया। 2004 के लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने वीरभद्र सिंह को हिमाचल का एकमात्र बड़ा नेता करार देते हुए अपनी हिविकां का विलय कांग्रेस में कर दिया था। उसके बाद 2007 में अनिल शर्मा को मंडी सदर से उतारा और वह कांग्रेस के टिकट पर जीते। वहीं 2012 में अनिल शर्मा फिर जीते और वीरभद्र सरकार में मंत्री बने। लेकिन वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले पंडित सुखराम अपने पोते और बेटे के साथ भाजपा में शामिल हो गए। रिकार्ड का आंकलन किया जाए तो मंडी सदर से बीते 12 विधानसभा चुनावों में 6 बार पंडित सुखराम और 4 बार अनिल शर्मा ने जीत हासिल की। पंडित सुखराम और अनिल शर्मा एक बार भी चुनाव नहीं हारे हैं।



 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!