Edited By Simpy Khanna, Updated: 02 Sep, 2019 11:53 AM
हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों को स्थाई मान्यता देने के चक्कर में एचपीयू व शिक्षा विभाग में तकरार हो गई है। वजह ये है कि प्रदेश के 63 कॉलेजों को एचपीयू एफिलेशन देने से मना कर रहा है। इतना ही नहीं वह इन कॉलेजों पर कोई कार्रवाई भी नहीं कर रहा। हालांकि जो...
शिमलाः हिमाचल प्रदेश के कॉलेजों को स्थाई मान्यता देने के चक्कर में एचपीयू व शिक्षा विभाग में तकरार हो गई है। वजह ये है कि प्रदेश के 63 कॉलेजों को एचपीयू एफिलेशन देने से मना कर रहा है। इतना ही नहीं वह इन कॉलेजों पर कोई कार्रवाई भी नहीं कर रहा। हालांकि जो नियम एफिलेशन के लिए तय किए गए उनका पालन सही तरीके से नहीं हो रहा है। वहीं एचपीयू संबंधित संस्थान के छात्रों के परिणाम रोकने के साथ-साथ उनकी डिग्रियां भी रोक सकता है।
ऐसे में अगर ये कॉलेज एफिलेशन लेते ही नहीं है तो इसका खामियाजा कॉलेज के छात्रों चुकाना पड़ेगा। कॉलेजों के पास एफिलेशन के लिए कोई बजट का प्रावधान ना होने के चलते एचपीयू से एफिलेशन फीस माफ करने का मामला भी काफी बार उठाया जा चुका है, लेकिन इसका भी कोई हल नहीं हो पाया है। कॉलेजों की एफिलेशन फीस को माफ करने के लिए एचपीयू तर्क दे रहा है कि एचपीयू को शिक्षा विभाग सरकार से एफिलेशन फीस का बजट मुहैया करवाए। जबकि शिक्षा विभाग इस मामले में तर्क दे रहा है कि एचपीयू को सरकार से जो ग्रांट मिल रही है उसी में कॉलेजों की एफिलेशन फीस भी एचपीयू को मिल रही है, ऐसे में एचपीयू की सरकार से अलग बजट की मांग सही नहीं है। शिक्षा विभाग ना तो एचपीयू को और ना ही कॉलेजों को एफिलेशन का बजट मुहैया करवा रहा है। प्रदेश में कई कॉलेज बिना एफिलेशन के ही चल रहे है। अब अगर एचपीयू एफिलेशन ना लेने पर कॉलेजों पर शिकंजा कसता है तो ऐसे में हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में आ सकता है।