जमने लगे नाले, शीत लहर की चपेट में आई घाटी

Edited By Ekta, Updated: 04 Dec, 2018 05:11 PM

frozen drains

बदले मौसम के तेवरों से घाटी शीत लहर की चपेट में आ गई है। सोमवार को सुबह जैसे ही धूप निकली तो सैलानियों सहित स्थानीय लोगों का मनाली मालरोड पर जमघट लग गया। रोहतांग दर्रे में बहते नाले जम गए हैं और घाटी के गांव कोठी व सोलंग में भी पानी के चश्में जमने...

मनाली (ब्यूरो): बदले मौसम के तेवरों से घाटी शीत लहर की चपेट में आ गई है। सोमवार को सुबह जैसे ही धूप निकली तो सैलानियों सहित स्थानीय लोगों का मनाली मालरोड पर जमघट लग गया। रोहतांग दर्रे में बहते नाले जम गए हैं और घाटी के गांव कोठी व सोलंग में भी पानी के चश्में जमने लगे हैं। रोहतांग मार्ग पर पानी जम रहा है तथा बर्फ भी ठोस हो गई है जिससे सफर में भी जोखिम बढ़ा है। मनाली मालरोड के व्यवसाई शोभा और विजय का कहना है कि कुछ दिनों से पहाड़ों में बर्फबारी नहीं हुई है, लेकिन गत दिनों हुई बर्फबारी से पहाड़ बर्फ से ढके हुए हैं। 
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मनाली मालरोड में सैलानियों सहित लोगों का लगा मेला

बर्फीले पहाड़ों के चलते मनाली में ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि सोमवार को सुबह धूप निकलते ही मनाली मालरोड में सैलानियों सहित लोगों का मेला लग गया। सोमवार को भारी ठंड को देखते हुए लोगों ने लकड़ी के डिपुओं की ओर रुख किया। लकड़ी कम मिलने के चलते लोग गर्म उपकरणों तंदूर की दुकानों की ओर रुख करने लगे हैं। बिजली का कारोबार करने वाले शिव और दीपक ने बताया कि बर्फबारी के बाद गर्म उपकरण खरीदने वालों में बढ़ौतरी हुई है। होटलों में भी सैलानी हीटर व गर्म उपकरणों की मांग करने लगे हैं। बगीचों की ओर लौटे घाटी के बागवान ऊझी घाटी के बागवानों ने बगीचों की ओर रुख कर लिया है।

बागवान इन दिनों प्रूनिंग के कार्य में व्यस्त

सेब के पेड़ों की कांट-छांट प्रूनिंग के साथ-साथ बागवान पेड़ों के गड्ढे बनाने में भी व्यस्त होने लगे हैं। हालांकि पिछले दिनों पहाड़ों पर भारी बर्फबारी व घाटी में बारिश का दौर रहा बावजूद इसके बागवानों का कहना है कि यह नाकाफी है तथा बर्फबारी पर ही सेब की फसल निर्भर है। ऊझी के पारशा गांव के बागवान मोती व विजय का कहना है कि इन दिनों उन्होंने बाग-बगीचों की ओर रुख किया हुआ है। बागवान इन दिनों प्रूनिंग के कार्य में व्यस्त हैं। मौसम की अनदेखी को देखते हुए लोग सेब की अपेक्षा सब्जियों की ओर अधिक ध्यान देने लगे हैं। बड़ाग्रा गांव के ग्रामीण बीर सिंह ठाकुर, अजय ठाकुर और पूर्ण चंद का कहना है कि मौसम की बेरूखी लगातार उनकी उम्मीदों पर भारी पड़ी है, लेकिन इस साल पहाड़ों पर बर्फबारी हो रही है, जिससे अगले साल फसल के बेहतर होने की उम्मीद है।

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