दोस्तों ने पेश की मिसाल, दुनिया छोड़ चुके दोस्त के परिवार की ऐसे की मदद

Edited By Vijay, Updated: 21 Oct, 2018 10:16 PM

friends help of friend s family

आज के जमाने में जहां पैसे के लिए सब रिश्ते-नाते दांव पर लग जाते हैं, वहीं इस दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जिन्हें रिश्ते निभाने बखूबी आते हैं तथा अनजाने रिश्ते निभाकर मिसाल पेश कर जाते हैं।

बरठीं: आज के जमाने में जहां पैसे के लिए सब रिश्ते-नाते दांव पर लग जाते हैं, वहीं इस दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जिन्हें रिश्ते निभाने बखूबी आते हैं तथा अनजाने रिश्ते निभाकर मिसाल पेश कर जाते हैं। ऐसे ही एक अनजाने रिश्ते की खूबसूरती व सामाजिक सरोकार के किस्से का भारतीय फौज के कुछ जवानों द्वारा निर्वहन करने का जीवंत उदाहरण पेश करना क्षेत्रभर के लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। दोस्ती का हक अदा करने जिला मंडी-बल्द्वाड़ा के समीप बिलासपुर जिला की सीमा पर तरणंडाल गांव पहुंचे जिला बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा-बैजनाथ व मंडी से डोगरा रैजीमैंट के 10 जवानों ने उस वक्त संवेदनशीलता का एक अनुकरणीय उदाहरण पेश कर दिया, जब उन्होंने संसार छोड़ चुके उनके एक दोस्त पूर्व हवलदार दिलवर सिंह के घर जाकर बच्चों को डेढ़ लाख की राशि बतौर आर्थिक मदद प्रेषित की।

दोस्त के बच्चों का सहारा बनते हुए पेश की मिसाल
जवानों की 3 डोगरा, 11 डोगरा व 9 डोगरा की हैंडबाल टीम तथा 18 डोगरा से सेवानिवृत्त पूर्व कैप्टन राजेश मेहता, कैप्टन विनोद कुमार, कैप्टन दिनेश, सतीश कुमार, ओंकार सिंह, सूबेदार पवन कुमार, राजेश कुमार, कुलवंत सिंह, सतीश कुमार व पूर्व हवलदार जौंटी ने अपनी कमाई से 43 वर्ष की आयु में दुनिया छोड़ चुके अपने दोस्त के बच्चों का सहारा बनते हुए दोस्ती के हक अदायगी की मिसाल पेश की है।

हैंडबाल टीम के एक बेहतरीन खिलाड़ी थे हवलदार दिलवर सिंह
जानकारी देते हुए सैनिक अफसरों ने बताया कि उनका दोस्त फौज की हैंडबाल टीम का एक बेहतरीन खिलाड़ी रहा है तथा 43 वर्ष की आयु में जब वह हाजिर नौकरी था तथा द्वितीय बटालियन एन.सी.सी. चंडीगढ़ में तैनात था तो बीमारी के चलते उसकी मृत्यु हो गई थी। अपने पीछे 4 बेटियों को छोड़ चुके उनके दोस्त की पत्नी को 4-4 बेटियों के साथ जीवन बसर करना किसी पहाड़ से कम नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके इस तुच्छ से सहयोग से परिवार की मुश्किलें तो शायद कम न हों लेकिन यह सब उन्होंने फर्ज को परवान चढ़ाने के चलते किया है।

एक बेटी बी.एड. तो दूसरी कर रही बी.सी.ए.
उन्होंने बताया कि उनकी एक बेटी बी.एड. कर रही है, दूसरी बेटी बी.सी.ए., तीसरी जमा दो की पढ़ाई कर रही है तथा चौथी बेटी दूसरी कक्षा में है, ऐसे में एक महिला के लिए अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन का स्वत: अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसके लिए जिंदगी के क्या मायने होंगे।

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