Edited By Ekta, Updated: 30 Aug, 2019 04:50 PM
हिमाचल में अब जबरन धर्म परिवर्तन नहीं हो सकेगा। प्रदेश सरकार ने राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन का न केवल संज्ञेय अपराध घोषित कर दिया है, बल्कि ऐसा कराने वाले को कम से कम पांच साल की सजा भी होगी। इस संबंध में विधानसभा में हिमाचल प्रदेश धर्म की...
शिमला (योगराज): हिमाचल में अब जबरन धर्म परिवर्तन नहीं हो सकेगा। प्रदेश सरकार ने राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन का न केवल संज्ञेय अपराध घोषित कर दिया है, बल्कि ऐसा कराने वाले को कम से कम पांच साल की सजा भी होगी। इस संबंध में विधानसभा में हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक 2019 पारित किया गया। इससे पहले कांग्रेस के सदस्यों व माकपा सदस्य राकेश सिंघा ने बिल पर कुछ आपत्तियां भी जाहिर की और कहा कि नए धर्म परिवर्तन बिल में झूठे मामले बनाए जा सकते हैं। साथ ही छुआछूत जैसी कुरीतियों को दूर करने का प्रावधान किया जाए। इसमें कुछ चीजें गलत है उसमें संसोधन किया जाना चाहिए। कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने 2006 में यह बिल लाया था उसी बिल को लाया जाना चाहिए था।
सरकार बिलों को बिना तैयारी के सदन में रख रही है। हम बिल के विरोध में नहीं है लेकिन ये कहना कि ये नया बिल गलत है। लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्यों की तरफ से कहा गया कि धर्म परिवर्तन की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए इस बिल को लाया गया है। क्योंकि पैसे का लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। अब इस बिल में जबरन धर्म परिवर्तन करवाने वालों के ख़िलाफ़ सजा का प्रावधान किया गया है। जिससे इस तरह की घटनाएं कम हो। भारद्वाज ने कहा कि वीरभद्र सिंह जब इस बिल को लाये थे उनका स्वागत किया गया था। उसमें 8 सेक्शन थे और वह बिल छोटा था। अब इस कानून को विस्तृत रूप दिया गया है। पहले के कानून में 2 वर्ष की सजा का प्रावधान था अब इसको बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है। बिल में ये भी प्रावधान किया गया है कि विवाह के लिए धर्म परिवर्तन करना गलत माना गया।
धर्म परिवर्तनों के नाम पर चलने वाली संस्थाओं को बंद करने का भी प्रावधान रखा गया है। इसमें गैरजमानती प्रावधानों को भी जोड़ा गया है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि 2006 व आज के बिल में भावनाएं एक जैसी है। लेकिन बढ़ते जबरन धर्म परिवर्तन के मामले चिंता का विषय है। जिसको रोकने के लिए नया कारगर बिल लाए है ताकि इसको सख्ती से लागू किया किया जा सके। क्योंकि 2006 में लाए गए बिल के तहत एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। एनजीओ के नाम पर प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करवाना गलत है। इन पर नकेल कसना जरूरी है। इससे पहले 7 राज्य इस कानून को पारित कर चुके हैं। इसके बाद सर्वसम्मति से इस बिल को पारित कर दिया गया।