शिमला में लग रहे कूड़े के ढेर, चौथी बार हड़ताल पर गए गुस्साए सैहब कर्मचारी

Edited By Punjab Kesari, Updated: 13 Sep, 2017 12:42 PM

fourth time strike went on angry saheb employees

शिमला में सैहब कर्मचारियों की हड़ताल के चलते शहर में सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाना निगम के सामने बड़ी चुनौती बनती जा रही है।

शिमला: शिमला में सैहब कर्मचारियों की हड़ताल के चलते शहर में सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाना निगम के सामने बड़ी चुनौती बनती जा रही है। दरअसल सैहब कर्मचारी पिछले एक महीने में करीब चौथी बार हड़ताल पर चले गए हैं, ऐसे में आम जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है। मंगलवार को भी गारबेज कलैक्टरों ने कूड़ा नहीं उठाया तथा लोगों को खुद ही कलैक्शन सैंटरों तक कूड़ा पहुंचाना पड़ा। शहर में सफाई व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। हालांकि नगर निगम प्रशासन ने पुख्ता वैकल्पिक व्यवस्था करने का दावा किया है लेकिन आम जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है। शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लग रहे हैं। शहर के 34 वार्डों में डोर टू डोर गारबेज कलैक्शन योजना बंद रही। 


40 हजार घरों से नहीं उठा कूड़ा 
मंगलवार के बाद से करीब 40 हजार घरों से कूड़ा नहीं उठ पाया है। गुस्साए सैहब कर्मचारियों ने मांगें पूरी न होने पर नगर निगम ऑफिस के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने एमसी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सैहब सोसाइटी के सचिव ने कहा है कि जब तक एमसी उनकी मांगों को पूरा नहीं करती, तब तक शहर में डोर-टू- डोर सेवा पूरी तरह से ठप रहेगी। कर्मचारियों ने एमसी को चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक उनके वेतन में बढ़ौतरी और स्थाई नीति का प्रबंध नहीं किया जाता है, तब तक वे हड़ताल पर रहेंगे। मामले पर नगर निगम मेयर कुसुम सदरेट ने शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा पर आरोप लगाते हुए कहा कि मंत्री शहर की जनता के प्रति अपनी गम्भीरता नहीं दिखा रहे हैं। उन्होंने बताया कि निगम ने पिछली एमसी बैठक में सैहब कर्मचारियों के वेतन में 10 फीसदी की बढ़ौतरी कर दी है, लेकिन कर्मचरियों की बाकी मांगों को लेकर दो साल बाद होने वाली एनुअल जनरल मीटिंग में शहरी विकास मंत्री ही नहीं पहुंचे तो इसमें दोष किसका है? मेयर कुसुम ने एजीएम की बैठक जल्द करने का दावा भी किया है।  


सैनिटरी इंस्पैक्टरों को लोग करते रहे दिनभर कॉल
वहीं गारबेज कलैक्टरों की हड़ताल के चलते वार्डों में तैनात किए गए सैनिटरी इंस्पैक्टर दिनभर लोगों की शिकायतों का निपटारा करते रहे। इन अधिकारियों को दिनभर लोगों के फोन आते रहे कि कूड़ा कहां पर फैंका जाए। अधिकारी अपने-अपने एरिया के कलैक्शन सैंटर की जानकारी लोगों को देते रहे, वहीं स्पीकर के जरिए भी नगर निगम कूड़ा कलैक्शन केंद्रों की जानकारी आम जनता तक पहुंचाता रहा। 
 

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