इंडियन टैक्नोमैक घोटाले में चौथी गिरफ्तारी, CID के हत्थे चढ़ा DGM

Edited By Vijay, Updated: 26 Jul, 2018 07:46 PM

fourth arrest in indian technomac scam

इंडियन टैक्नोमैक कंपनी के 6 हजार करोड़ से अधिक के घोटाले मामले में सी.आई.डी. ने चौथी गिरफ्तारी की है। जांच एजैंसी ने कंपनी के डी.जी.एम. राजकुमार सैनी पुत्र केहर सिंह सैनी निवासी मुलाना हरियाणा को गिरफ्तार किया है।

शिमला (राक्टा): इंडियन टैक्नोमैक कंपनी के 6 हजार करोड़ से अधिक के घोटाले मामले में सी.आई.डी. ने चौथी गिरफ्तारी की है। जांच एजैंसी ने कंपनी के डी.जी.एम. राजकुमार सैनी पुत्र केहर सिंह सैनी निवासी मुलाना हरियाणा को गिरफ्तार किया है। वह टैकनोमेक कंपनी पांवटा सहिब में डी.जी.एम. के पद पर तैनात था। सी.आई.डी. ने बुधवार को उसे पूछताछ के लिए शिमला बुलाया था। पूछताछ के दौरान सी.आई.डी. को कुछ पुख्ता सबूत हाथ लगे और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। बताया जा रहा है कि उक्त डी.जी.एम. ने फर्जी बिल बनाने में अपनी भूमिका स्वीकार कर ली है, ऐसे में सी.आई.डी. ने डी.जी.एम. के खिलाफ शिकंजा कसा। सी.आई.डी. ने उक्त आरोपी को वीरवार को कोर्ट में पेश किया जहां से उसे 5 दिन के रिमांड पर भेज दिया है।


पहले गिरफ्तार हो चुके हैं 3 आरोपी
इससे पहले 19 जुलाई को सी.आई.डी. ने ए.जी.एम. (अकाऊंट) विवेक गुप्ता, बीते मार्च माह में कंपनी के निदेशक विनय शर्मा और बिजली बिलों में की गई हेराफेरी में एक अन्य डी.जी.एम. विवेक कुमार को भी सी.आई.डी. ने गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया है कि बैंक लोन लेने में इसका बड़ा हाथ रहा है। इसने कुछ अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी कच्चे माल की एंट्री और फर्जी बिल तैयार किए। इन्हीं बिलों के आधार पर कंपनी ने अपना उत्पादन कई गुणा बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया। यही नहीं, इसने अन्यों के साथ मिलकर गलत बैलेंस शीट तैयार की और इसके आधार पर बैंकों से लोन लिया।


फर्जी उत्पादन दिखाकर लगाया बैंकों को चूना
बताया जा रहा है कि कंपनी कई वर्षों तक फर्जी उत्पादन दिखाकर बैंकों को चूना लगाती रही लेकिन इसकी भनक तो सरकारी महकमों को लगी और न हीं बैंकों को। नतीजतन भगौड़ा कंपनी ने बैंकों से करोड़ों रुपए का कर्ज भी ले लिया। कंपनी के घोटाले की चल रहीं जांच में यह भी सामने आया है कि वर्ष 2014 में बंद हो चुकी फैक्टरी की मशीनरियों को भी व्यापक रणनीति के तहत ठिकाने लगाया गया। सूत्रों के अनुसार पूरी साजिश के साथ फैक्टरी की मशीनें और कबाड़ को सुरक्षा कर्मियों के घेरे से बाहर निकला गया।


फैक्टरी का अहम रिकॉर्ड जलाने के मामले की भी जांच
सी.आई.डी फैक्टरी का अहम रिकॉर्ड जलाने के मामले में भी जांच पड़ताल कर रही है। सी.आई.डी का दावा है कि कंपनी के कई सबूतों को फैक्टरी अंदर ही नष्ट करने की कोशिश की गई है। कंपनी कई सालों तक फर्जीवाड़ा करती रही जबकि सरकारी महकमों को इसकी भनक तक नहीं लगी। कंपनी से बैंकों से करोड़ों का लोन फर्जी उत्पादन के सहारे ही लिया गया। कंपनी ने टैक्स भी नहीं चुकाया। कंपनी ने वर्ष 2009 से लेकर 2015 तक उत्पादन ज्यादा दर्शाया। कंपनी ने घपला करने के साथ ही आयकर और टैक्स भी नहीं भरा। इस कारण यह घपला 2200 करोड़ तक पहुंच गया।


करोड़ों की धोखाधड़ी में कई चेहरे शामिल
सी.आई.डी की जांच में खुलासा हुआ है कि प्रदेश में कंपनी द्वारा किए गए करोड़ों की धोखाधड़ी में कई चेहरे शामिल हैं। इसके साथ ही कंपनी के मालिक विदेश भाग चुका है, ऐसे में जांच एजैंसी सभी पहलुओं को देखते हुए आगामी कदम उठा रही है।

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