Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Jan, 2018 09:59 AM
पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में जनप्रतिनिधियों व जनता की मांग पर खोले गए स्कूलों को बंद करने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत कम संख्या वाले स्कूलों का विवरण मांग कर इनको युक्तिकरण के माध्यम से बंद किया जाएगा।
शिमला: पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में जनप्रतिनिधियों व जनता की मांग पर खोले गए स्कूलों को बंद करने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत कम संख्या वाले स्कूलों का विवरण मांग कर इनको युक्तिकरण के माध्यम से बंद किया जाएगा। युक्तिकरण के माध्यम से बंद होने वाले इन स्कूलों के शिक्षकों की सेवाएं दूसरी जगह समायोजित की जाएंगी। सूत्रों के अनुसार स्कूलों के अलावा नए शिक्षण संस्थाओं को खोलने पर भी सरकार ने फिलहाल विराम लगाने का निर्णय लिया है, जिससे सत्ता पक्ष के कई विधायक परेशान हैं। विधायकों की परेशानी का कारण यह है कि उन्होंने चुनाव के समय जनता के बीच कई वायदे किए हैं, इनमें नए शिक्षण संस्थानों को खोला जाना भी शामिल है।
स्कूलों को बंद करने सहित नए संस्थानों को न खोले जाने से एक बार फिर विधायकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि जिन स्थानों पर स्कूल सहित अन्य संस्थान बंद होंगे, वहां की जनता में नाराजगी बढ़ेगी। सरकार की तरफ से यह निर्णय प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक न होने का हवाला देकर लिया गया है, जिसको लेकर वित्त विभाग ने पहले मंत्रिमंडल बैठक और बाद में भाजपा विधायक दल की बैठक में प्रैजैंटेशन दी है। अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त डा. श्रीकांत बाल्दी ने अपनी प्रैजैंटेशन में प्रदेश की वित्तीय हालत को विस्तार से समझाया है।
प्रैजैंटेशन में यह भी बताया कि ऐसे निर्णयों को पूर्व सरकार के समय थोपा गया। यह पहला मौका है, जब विधायक दल में वित्त विभाग की तरफ से प्रैजैंटेशन दी गई है। इस प्रैजैंटेशन को देखकर कई विधायक भी हैरान और परेशान हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में इससे पहले भी पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में 109 प्राइमरी स्कूलों को बंद किया गया है। अब सैंकड़ों स्कूल युक्तिकरण की जद्द में आ सकते हैं। इसमें प्राइमरी के अलावा मिडल, हाई और सीनियर सैकेंडरी स्कूलों का भी अध्ययन किया जाएगा। यानि प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षण संस्थान तक बंद हो सकते हैं। राज्य में इस समय करीब 15,000 शिक्षक संस्थान हैं, जिसमें 10,000 से अधिक प्राइमरी स्कूल हैं।
वित्तीय स्थिति से विधायक परेशान
सत्तारूढ़ दल के विधायक प्रदेश की वित्तीय हालत देखकर परेशान है। प्रदेश पर इस समय करीब साढ़े 46 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। वित्तीय हालत इस कद्र खराब है कि कर्ज को चुकाने के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है। यानि प्रदेश में जन्म लेने वाला प्रत्येक बच्चा 60,000 रुपए का कर्ज लेकर पैदा होता है। वित्तीय कुप्रबंधन के चलते बीते 5 साल में प्रति व्यक्ति ऋण में 41 फीसदी बढ़ौतरी हुई है। ऐसे में अब पुराने संस्थानों को बंद करना तथा नए पर विराम लगाए जाने से विधायकों की परेशानी बढ़ गई है। उनको जनता से किए गए वायदे याद आ रहे हैं, जिसमें नए स्कूलों सहित अन्य संस्थान खोले जाना भी शामिल हैं। इस स्थिति में नए स्कूलों को खोलना तो दूर, पुराने स्कूल तक बंद करने की तैयारी की जा रही है।