Edited By Ekta, Updated: 08 Jun, 2019 03:30 PM
कहते है मन में किसी के लिए कुछ करने की इच्छा हो तो इंसान सात समंदर पार से भी मदद करने में पीछे नहीं हटता। स्पेशल बच्चों के लिए ऐसा ही प्यार फेसबुक के माध्यम खींच लाया इंग्लैंड की लिंडसे को। सुंदरनगर के डोडवा स्थित साकार के स्पेशल चिल्ड्रन स्कूल में...
सुंदरनगर (नितेश सैनी): कहते है मन में किसी के लिए कुछ करने की इच्छा हो तो इंसान सात समंदर पार से भी मदद करने में पीछे नहीं हटता। स्पेशल बच्चों के लिए ऐसा ही प्यार फेसबुक के माध्यम खींच लाया इंग्लैंड की लिंडसे को। सुंदरनगर के डोडवा स्थित साकार के स्पेशल चिल्ड्रन स्कूल में आजकल एक विदेशी मेहमान के आने से चहल पहल है। लिंडसे ने फेसबुक के माध्यम से साकार स्कूल के अधिकारियों से संपर्क किया और इंग्लैंड के एक कॉलेज की तरफ से दो सप्ताह के एजुकेशनल टूर पर आई। वह आजकल इस स्कूल के विशेष बच्चों के साथ रहकर उनके क्रियाकलापों पर अध्यन कर रही है।
इस दौरान वह स्थानीय संस्कृति और परम्पराओं की भी जानकारी लेंगी जो कि उनके अध्यन का एक हिस्सा है। स्टेफोर्डशिरे विश्वविद्यालय की स्कालरशिप पर भारत आई लिंडसे ने साकार स्कूल के बच्चों के साथ अच्छी खासी दोस्ती कर ली है। वह यहां के कार्यरत विशेष अध्यापकों व अध्यापिकाओं के साथ मिलकर बच्चों के बारे में जानकारिया प्राप्त कर रही है। उनके अध्यन्न के साथ बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने का काम भी मिला है। वेशक वह अपने घर से चार हजार किलोमीटर दूर है मगर संस्थान के प्रबधंकों के प्रयास से उन्हें वह हर चीज सिखने का मौका मिल रहा है जो कि उनके इस एजुकेशनल टूर के लिए जरूरी है। यही नहीं उनकी कॉलेज भी रोज उनके कामों का अपडेट ले रही है।
मिसाल बनी उनकी सादगी इंग्लैंड की लिंडसे की सादगी उनके व्यक्तित्व में भी दिखती है। वह जब से आई है। संस्थान में एक नई ऊर्जा आई है। बताते है कि उन्होंने स्थानीय गांव की लड़कियों की तरह सलवार कुर्ता और दुपट्टा डाला है। जबकि उन्हें यहां का खानपान और पहाड़ी टोपी खूब भा रही है। उनकी ये सादगी सभी के लिए मिशाल बनी है। स्पेशल बच्चों के साकार स्कूल की अध्यक्ष शीतल शर्मा ने कहा कि इंग्लैंड की लिंडसे ने फेसबुक के माध्यम से हमारे साथ संपर्क किया और सुंदरनगर पहुंची। इनके द्वारा हमारे स्कूल के बच्चों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है।