सड़क के लिए 120 किमी पैदल चलेंगे सिरमौरवासी, शिमला में CM से लगाएंगे गुहार

Edited By Ekta, Updated: 07 Oct, 2018 02:50 PM

for road 120 km walk on foot sirmauri people

प्रदेश सरकार गांव-गांव को सड़क सुविधा से जुड़ने के बड़े-बड़े दावे करती है मगर हकीकत यह है कि आज भी कई गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। वहीं अब नौहराधार क्षेत्र के चबाधार गांव के लोगों ने राजधानी शिमला तक पैदल जाने का फैसला लिया है।...

सिरमौर (सतीश): प्रदेश सरकार गांव-गांव को सड़क सुविधा से जुड़ने के बड़े-बड़े दावे करती है मगर हकीकत यह है कि आज भी कई गांव सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। वहीं अब नौहराधार क्षेत्र के चबाधार गांव के लोगों ने राजधानी शिमला तक पैदल जाने का फैसला लिया है। सड़क की मांग को लेकर यह पैदल मार्च पर निकले हैं। हैरानी इस बात की है कि इस गांव को आज तक सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है। उससे भी बड़ी हैरानी वाली बात यह कि साल 2002 में यह सड़क का शिलान्यास हो चुका था, बजट का प्रावधान भी किया गया बावजूद इसके 16 साल बीत जाने के बाद भी सड़क नहीं बन पाई। सड़क की मांग को लेकर अब इन लोगों ने नौहराधार से शिमला तक करीब 120 पैदल सफर कर सरकार से मदद की गुहार लगाने का फैसला लिया है। 
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2 साल 2002 में सड़क का शिलान्यास तत्कालीन सांसद धनीराम शांडिल ने किया था। वही उसके बाद वीरभद्र सरकार ने करीब 40 लाख की राशि भी इस सड़क के लिए स्वीकृत की थी, मगर धरातल पर कोई काम नहीं हो पाया और आज भी लोग सड़क सुविधा के लिए तरस रहे लोगों को करीब 4 किलोमीटर खड़ी चढ़ाई कर गांव पहुंचना पड़ता है। करीब 8 किलोमीटर लंबी बनने वाली इस सड़क से हरिजन बस्ती के करीब 2000 लोग प्रभावित हो रहे। यह समस्या उस समय और विकराल हो जाती है जब किसी मरीज को मुख्य सड़क तक पहुंचाना होता है। 
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कई बार तो मरीज भी रास्ते में दम तोड़ जाते हैं। रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं को घर पहुंचाना भी किसी बड़ी मुश्किल से कम नहीं है, मगर लोगों की समस्या को लेकर ना तो यहां के नेता और ना ही संबंधित विभाग के अधिकारी गंभीर है जिसका खामियाजा लोगों को भुक्तना पड़ रहा है। अगर इस सड़क का निर्माण हो जाता है तो यह पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि इसी रास्ते से लोग तीर्थ स्थली चूड़धार भी पहुंचते हैं। गांव में लोग कई दिन बिजली पानी की सुविधा से भी महरूम रहते हैं। इस तरह की तस्वीरें जब सामने आती है तो इससे जहां नेताओं के वायदों की हकीकत सामने आती है। वहीं सरकारी दावों की पोल भी खुल जाती है। देखना होगा कि लोगों के इस अनोखे विरोध के बाद प्रशासनिक अमला कितना गंभीर होता है। 

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