ऑक्सीजन लेवल कम था, 28 दिन वैंटिलेटर पर काटे, 30 KG वजन भी हुआ कम, फिर भी जीत ली कोरोना से जंग

Edited By Vijay, Updated: 28 Apr, 2021 07:01 PM

food safety officer defeat corona virus

देशभर में कोरोना संक्रमण के चलते हाहाकार मचा हुआ है। वहीं हिमाचल की राजधानी शिमला से कोरोना काल में लोगों को हिम्मत देने वाली एक सकारात्मक खबर आई है। आइए आपको बताते हैं कि कैसे एक फूड सेफ्टी ऑफिसर ने कई परेशानियां झेलते हुए कोरोना से जंग जीती।

शिमला: देशभर में कोरोना संक्रमण के चलते हाहाकार मचा हुआ है। वहीं हिमाचल की राजधानी शिमला से कोरोना काल में लोगों को हिम्मत देने वाली एक सकारात्मक खबर आई है। आइए आपको बताते हैं कि कैसे एक फूड सेफ्टी ऑफिसर ने कई परेशानियां झेलते हुए कोरोना से जंग जीती। हम बात कर रहे हैं शिमला शहर के फूड सेफ्टी ऑफिसर अशोक मंगला की, जिन्हें कोरोना संक्रमण ने अपनी चपेट में ले लिया था। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल 23 रह गया था। इलाज के दौरान वह 28 दिन आईजीएमसी में वैंटिलेटर पर रहे। इस दौरान उनका 30 किलोग्राम वजन भी कम हो गया लेकिन उन्होंने कोरोना से जंग जीत ली।

3 सितम्बर को कोरोना पॉजिटिव आई थी रिपोर्ट

अशोक मंगला ने बताया कि 3 सितम्बर बुखार आने और थकान महसूस होने पर वह आईजीएमसी गए, जहां फ्लू ओपीडी में उनका कोरोना जांच के लिए सैंपल लिया गया। इसी दिन सीएमओ शिमला का उन्हेें फोन पर बताया कि उनकी रिपोर्ट कोरोना  पॉजिटिव है, जिसके बाद वह डर गए क्योंकि घर में बुजुर्ग माता-पिता और 2 बच्चे हैं। सीएमओ ने उनसे पूछा कि वह होम क्वारंटाइन रहना चाहते हैं या या अस्पताल जाना चाहेंगे, ऐसे में मंगला ने रिपन अस्पताल में भर्ती होने की बात कही। इसके बाद जब एंबुलैंस नहीं आई तो घरवाले उन्हें गाड़ी में रिपन अस्पताल छोड़ गए।

12 सितम्बर को तबीयत बिगड़ी तो वैंटिलेटर पर डाला

अशोक मंगला ने बताया कि रिपन अस्पताल में 7 सितम्बर को उनका एक्स-रे लिया गया और रिपोर्ट देख कर डॉक्टरों ने कहा कि वह आईजीएमसी में भर्ती हो जाएं, जिसके बाद वह आईजीएमसी में भर्ती हो गए। 12 सितम्बर को आईजीएमसी में उनकी तबीयत काफी खराब होगई। सांस लेने में तकलीफ होने लगी। तबीयत बिगडऩे पर उन्हें वैंटिलेटर पर रखा गया और 2 अक्तूबर तक वैंटिलेटर पर रहे। इस दौरान उनका वजट 30 किलोग्राम कम हो गया था। ऑक्सीजन लेवल कई बार 30 से नीचे गिरा।

घर में फिर बिगड़ी तबीयत, फिर वैंटिलेटर पर रहे

2 अक्तूबर के बाद तबीयत में हल्का सुधार होने लगा तो आईजीएमसी से छुट्टी दे दी गई लेकिन कुछ दिन घर में रहने के बाद दोबारा उनकी तबीयत बिगड़ गई। दोबारा जांच में पता चला कि फेफड़ों में दिक्कत है। 10 अक्तूबर को फिर से आईजीएमसी में दाखिल कर दिया गया। 25 अक्तूबर को दोबार सांस थमने लगी और फिर से उन्हें वैंटिलेटर पर डाल दिया। इस दौरान 7 दिन वैंटिलेटर पर रहे। बाद में उनकी तबीयत में सुधार होने लगा।

डॉक्टरों ने बढ़ाया हौसला, आज अपने पैरों पर खड़ा

अशोक मंगला ने बताया कि डॉक्टर लगातार उसने मिलने आते थे। उन्होंने कहा कि जब वह वैंटिलेटर पर थे आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनकराज 4 बार पीपीई किट पहन कर उनसे मिलने आए और जीने के लिए प्रोत्साहित करते रहे। इसके अलावा डॉ. बलबीर, डॉ. मालेय सरकार, डॉ. सुनील शर्मा, डॉ. राहुल गुप्ता समेत कई डॉक्टरों ने रोजाना उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि मैं डॉक्टरों की वजह से आज दोबारा अपने पैरों पर खड़ा हो पाया हूं।

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