Edited By Vijay, Updated: 09 May, 2018 08:48 PM
डाक्टर देवता होता है, यह बात किसी ने गलत नहीं कही है। डा. राजन सूद जैसे चिकित्सक इसके उदाहरण हैं। इनके लिए मरीज की जान बचना ही सबसे जरूरी है। मैडीकल कालेज नाहन में मंगलवार को अल्सर से पीड़ित सूपी देवी (60) निवासी नघेता पांवटा साहिब से पहुंची थी।
नाहन: डाक्टर देवता होता है, यह बात किसी ने गलत नहीं कही है। डा. राजन सूद जैसे चिकित्सक इसके उदाहरण हैं। इनके लिए मरीज की जान बचना ही सबसे जरूरी है। मैडीकल कालेज नाहन में मंगलवार को अल्सर से पीड़ित सूपी देवी (60) निवासी नघेता पांवटा साहिब से पहुंची थी। उक्त बुजुर्ग महिला का ऑप्रेशन राजन सूद ने किया। आप्रेशन के बाद उक्त महिला को खांसी होने की वजह से टांके उखड़ गए। इस कारण दोबारा ऑप्रेशन करना जरूरी हो गया। जब दोबारा ऑप्रेशन किया गया तो ब्लड की कमी हो गई। महिला को ओ पॉजीटिव ब्लड की जरूरत थी। इस पर महिला के तीमारदार परेशान हो गए कि रात को ब्लड कहां से लाएं क्योंकि उनका ब्लड महिला के ब्लड के साथ मेल नहीं करता था। इस स्थिति में डा. सूद स्वयं रक्त देने के लिए तैयार हो गए। अपना रक्त देने के बाद उन्होंने महिला का ऑप्रेशन भी किया।
अपने मरीजों का खास ध्यान रखते हैं डा. राजन
बता दें कि डा. राजन अपने मरीजों का खास ध्यान रखते हैं। वह अपने मरीज को देखने के लिए आधी रात में भी आ जाते हैं। उन्हें अपने मरीजों की बहुत चिंता रहती है। वह अपने मरीजों का हौसला बढ़ाने के लिए उन्हें हंसाते हुए भी देखे जाते हैं। सूपी देवी के बेटे राजेश पुंडीर ने कहा कि मैंने डा. राजन जैसे चिकित्सक नहीं देखे हैं जो अपने मरीजों को इतना प्यार करते हैं। अन्य चिकित्सकों को भी डा. राजन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यूं तो रक्तदान के लिए सरकारों द्वारा लोगों को जागरूक किया जाता है लेकिन सही मायनों में इस संदेश को आमजन तक पहुंचाने के लिए डा. राजन सूद ने मिसाल पेश की है।
मरीज का इलाज करना मेरा कर्तव्य
मैडीकल कालेज नाहन के सर्जन डा. राजन सूद ने बताया कि मरीज का इलाज करना मेरा कर्तव्य है। इसके लिए मैं कोई प्रचार नहीं करना चाहता। महिला मरीज को ताजे खून की आवश्यकता थी जोकि रात को कहीं से प्राप्त नहीं हो सकता था। इसलिए मैंने अपना खून दिया।