Edited By Ekta, Updated: 20 Jul, 2018 03:13 PM
पेटकोक का प्रयोग जनमानस के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। यह बात मानव सेवा संस्थान के जिलाध्यक्ष एवं बरमाणा ए.सी.सी. विस्थापित अमरजीत ने कही। उन्होंने कहा कि ए.सी.सी. बरमाणा कारखाने से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण कई लोग तरह-तरह की बीमारियों से पीड़ित...
बिलासपुर (अंजलि): पेटकोक का प्रयोग जनमानस के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। यह बात मानव सेवा संस्थान के जिलाध्यक्ष एवं बरमाणा ए.सी.सी. विस्थापित अमरजीत ने कही। उन्होंने कहा कि ए.सी.सी. बरमाणा कारखाने से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण कई लोग तरह-तरह की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। ए.सी.सी. कारखाने के अंदर प्रयोग हो रहा पेटकोक (कोयला) जनमानस के स्वास्थ्य की दृष्टि से अति विनाशकारी है। पेटकोक इस्तेमाल करने के खिलाफ वर्ष 1995 में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कड़ा संज्ञान लिया है कि उद्योगों से ज्यादा महत्वपूर्ण जनता है क्योंकि देशभर में पेटकोक के जहरीले धुएं के कारण लगभग 60,000 लोग मृत्यु का ग्रास बन चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट पहले ही पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को कड़ी फटकार लगा चुका है।
एन.जी.टी. ने लगाया था कारखाने पर जुर्माना
अमरजीत का कहना है कि पहले भी एन.जी.टी. में याचिका दायर की गई थी, जिसके ऊपर कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लेते हुए ए.सी.सी. कारखाने के प्रबंधन पर 50 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी लेकिन बावजूद इसके ए.सी.सी. कारखाना एन.जी.टी. के दिशा-निर्देशों की अवहेलना करता जा रहा है। उन्होंने बताया कि कारखाने के प्रदूषण से हो रही समस्याओं पर वह शीघ्र ही तथ्यों सहित ज्ञापन सौंपेंगे। तत्पश्चात एन.जी.टी. में ए.सी.सी. द्वारा कोर्ट की अवहेलना करने पर याचिका दायर की जाएगी।
तकनीकी खराबी की वजह से छोड़ा जाता है धुआं
उधर, इस बारे में ए.सी.सी. एच.आर. महाप्रबंधक राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि पेटकोक इस्तेमाल करने की कंपनी को सरकार द्वारा स्वीकृति प्राप्त है। कारखाने की चिमनियों से निकलने वाला धुआं महीने में एक बार तकनीकी खराबी की वजह से छोड़ा जाता है, वह भी 2 या 3 मिनट के लिए। उन्होंने कहा कि कंपनी कारखाने के आसपास के पर्यावरण को स्वच्छ एवं लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए प्रयासरत रहती है, जिसके लिए ए.सी.सी. स्वास्थ्य केंद्र में हर वर्ष लोगों के स्वास्थ्य जांचने के लिए कैंप लगाए जाते हैं।