हिमाचल में 22 दिनों में 600 जगह लगी आग, करोड़ों की वन सम्पदा हो रही राख

Edited By Vijay, Updated: 25 May, 2018 11:40 PM

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गर्मियां शुरू होते ही आग ने रौद्र रूप दिखाना शुरूकर दिया है। मई माह के पहले 22 दिनों में फोरैस्ट फायर की 600 घटनाएं सामने आई हैं। इससे प्रदेश की बहुमूल्य वन संपदा, पशुओं की चारागाहें, घास, जंगली जानवरों के प्राकृतिक आवास और लाखों वन्य जीव जलकर राख...

शिमला: गर्मियां शुरू होते ही आग ने रौद्र रूप दिखाना शुरूकर दिया है। मई माह के पहले 22 दिनों में फोरैस्ट फायर की 600 घटनाएं सामने आई हैं। इससे प्रदेश की बहुमूल्य वन संपदा, पशुओं की चारागाहें, घास, जंगली जानवरों के प्राकृतिक आवास और लाखों वन्य जीव जलकर राख हो रहे हैं। चिंता की बात यह है कि बीते साल की तुलना में इस बार वन अग्नि की ज्यादा घटनाएं सामने आ रही हैं। वर्ष 2017 में वन अग्नि के 670 मामले सामने आए थे जबकि इस साल एक अप्रैल से 22 मई तक 52 दिनों में ही 641 घटनाएं सामने आ चुकी हैं।


अधिकतम तापमान सामान्य से औसत 2 डिग्री ज्यादा
वन विभाग की मानें तो इस साल मई के दूसरे और तीसरे सप्ताह में अचानक तापमान में बढ़ौतरी दर्ज की गई है। अधिकतम तापमान सामान्य से औसत 2 डिग्री ज्यादा चल रहा है। कुछ क्षेत्रों में तो यह सामान्य से 4 डिग्री तक ज्यादा है। इस कारण वन अग्नि की घटनाएं ज्यादा पेश आ रही हैं। शिमला, सिरमौर, ऊना, सोलन व चम्बा के ज्यादा जंगल आग की भेंट चढ़ रहे हैं। अन्य जिलों में भी धू-धू कर जंगल जल रहे हैं। लंबे ड्राई स्पैल को भी फोरैस्ट फायर का कारण माना जा रहा है।


टोल फ्री नंबर पर दें सूचना
जंगलों में आग की सूचना देने के लिए विभाग ने 1926 हैल्पलाइन नंबर और 18001808097 टोल फ्री नंबर जारी कर रखा है। बीते फरवरी व मार्च माह के दौरान वन विभाग फायर लाइन क्लीयर करने के दावे कर रहा है। इस दौरान जंगलों में सूखे पत्तों व घास इत्यादि को इकट्ठा करके जलाया जाता है ताकि गर्मियों के दौरान जंगलों में आग न लग पाए। वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने बताया कि इस साल सरकार ने वन अग्नि की घटनाएं रोकने के लिए वन अग्नि जागरूकता अभियान प्रदेशभर में चलाया था। इसके तहत 2 वाहनों में वन कर्मी कई दिनों तक प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में गए और लोगों को वनों में लगने वाली आग के नुक्सान बताए। प्रदेश भर में लगभग 400 फॉयर वाचर भी इस कार्य के लिए लगाए गए हैं।


कैसे लगती है वनों में आग
आम तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपनी जमीन पर उगने वाली झाडिय़ों को जलाने के लिए आग लगाते हैं। इसी तरह कुछ लोग जंगलों में जानबूझ कर आग लगाते है। लोगों में यह अवधारणा है कि वनों में आग लगाने के बाद अच्छी घास उग आती है जबकि यह गलत अवधारणा है। कुछ मामलों में लोगों द्वारा लापरवाही से जंगलों में बीड़ी-सिगरेट फैंकने से भी आग की घटनाएं सामने आती हैं। 

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