NGT के आदेशों के खिलाफ SC में याचिका दायर, अवैध भवन मालिकों को राहत की बंधी आस

Edited By Ekta, Updated: 08 Feb, 2019 11:23 AM

filed petition in sc against ngt orders

हिमाचल सरकार ने एन.जी.टी. के आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। करीब 180 पेज की याचिका को भारत के सॉलिसिटर जनरल, अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया, हिमाचल के एडवोकेट जनरल तथा कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं की मौजूदगी में कोर्ट में दायर किया गया है।...

शिमला (हेटा): हिमाचल सरकार ने एन.जी.टी. के आदेशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। करीब 180 पेज की याचिका को भारत के सॉलिसिटर जनरल, अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया, हिमाचल के एडवोकेट जनरल तथा कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं की मौजूदगी में कोर्ट में दायर किया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। अपील में सरकार ने प्लानिंग एरिया में अढ़ाई मंजिल से ज्यादा निर्माण और 35 डिग्री से अधिक की ढलान पर निर्माण की अनुमति मांगी है। सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर होते ही 10,000 से ज्यादा अवैध भवन मालिकों तथा निर्माण पर रोक के कारण आशियाना बनाने की बाट जोह रहे सैकड़ों लोगों को राहत की उम्मीद बंध गई है। 

सूत्रों की मानें तो हिमाचल सरकार ने एन.जी.टी. के आदेशों को कुछ बिंदुओं पर उसके क्षेत्राधिकार से बाहर बताया है क्योंकि एन.जी.टी. ने योगेन्द्र मोहन सेन गुप्ता और शीला मल्होत्रा की शिकायत पर 16 नवम्बर, 2017 को शिमला के प्लानिंग एरिया में अढ़ाई मंजिल से ज्यादा के निर्माण पर प्रतिबंध, कोर एरिया में कंस्ट्रक्शन पर पूर्णतया रोक, अवैध निर्माण को गिराने तथा 35 डिग्री से ज्यादा के ढलान पर निर्माण की मंजूरी न देने के आदेश दे रखे हैं, जबकि राज्य के टी.सी.पी. एक्ट के अनुसार प्लानिंग एरिया में साढ़े 4 मंजिल, कोर एरिया में साढ़े 3 मंजिल और 45 डिग्री तक की ढलान पर निर्माण की मंजूरी का प्रावधान है।

अपील दायर करने में लगा दिए एक साल सवा 2 महीने

कानूनी राय लेने के बाद हिमाचल सरकार ने बीते साल अगस्त माह में एन.जी.टी. में ही पुनर्विचार याचिका दायर की थी लेकिन एन.जी.टी. ने इसे खारिज किया। इसके बाद राज्य सरकार ने पहले हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती देने का फैसला लिया लेकिन अपील पर अंतिम कानूनी राय के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाना बेहतर समझा है। अब जाकर एक साल 2 महीने, 20 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई है। देरी के कारण अवैध भवन मालिकों में भी सरकार के प्रति जबरदस्त रोष है।
 

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