Edited By Ekta, Updated: 06 Feb, 2019 01:30 PM
सामाजिक सुरक्षा पैंशन के नाम पर मंडी जिला के जोगिंद्रनगर उपमंडल में वित्तीय अनियमितता और पैसे के गबन का मामला सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के तहसील कार्यालय जोगिंद्रनगर में यह गड़बड़झाला अगस्त, 2018 में...
मंडी (ब्यूरो): सामाजिक सुरक्षा पैंशन के नाम पर मंडी जिला के जोगिंद्रनगर उपमंडल में वित्तीय अनियमितता और पैसे के गबन का मामला सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के तहसील कार्यालय जोगिंद्रनगर में यह गड़बड़झाला अगस्त, 2018 में सामने आ चुका है मगर अभी तक भी कार्रवाई नहीं हुई है। गड़बड़झाले के सामने आने की शुरूआत 2017 में उस समय हुई जब एक अंतर्जातीय विवाह के लाभार्थी को मिलने वाली 50,000 रुपए की राशि नहीं मिली। जिस लाभार्थी को पैसा नहीं मिला उसने इस बारे में जिला कार्यालय मंडी में शिकायत की और सूचना के अधिकार के तहत जानकारी ली तो पता चला कि उसके नाम से पैसा तो मंजूर हो चुका है मगर उसे दिया नहीं गया। इस पर जिला कल्याण अधिकारी ने जांच बैठा दी।
इस जांच का जिम्मा तहसील कल्याण अधिकारी सरकाघाट, सदर व पधर के कल्याण अधिकारियों को सौंपा गया है मगर हैरानी तब हुई जब कैश बुक, चैक बुक और बैंक से निकाले गए पैसे का मिलान किया गया तो जांच टीम के भी होश उड़ गए। वर्ष 2013 और 2017 के बीच में ही लाखों रुपए के हिसाब का सही मिलान नहीं हो पा रहा है। लिहाजा विभाग ने निदेशालय को एक पत्र लिखकर लेखाधिकारी से जांच की मांग की है। अब अगर जांच होती है तो पूर्व में रहे अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं। पता चला है कि इस वित्तीय गड़बड़ी की रिपोर्ट निदेशालय को भेजी जा चुकी है मगर अभी तक भी न तो किसी के खिलाफ कार्रवाई हुई है और न पैसा रिकवर किया गया है। ऐसी भी आशंका है कि जब इस तरह के मामलों में पैसा गबन करने की गुंजाइश है तो यह प्रदेश स्तर पर करोड़ों का मामला भी हो सकता है। इसकी जांच करवाए जाने की मांग उठने लगी है।
पहले सिर्फ मनीऑर्डर के माध्यम से भेजा जाता था पैसा, अब ऑनलाइन
उल्लेखनीय है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के माध्यम से सरकार सामाजिक पैंशनें जिनमें वृद्धा, अपंग, विधवा व कुष्ठ रोगी आदि के अलावा गरीबों व दलितों को मकान आदि निर्माण व अंतर्जातीय विवाह के लिए राशि दी जाती है। 2017 के बाद तो यह राशि सीधे लाभार्थियों के खाते में ऑनलाइन जमा करवाई जाती है मगर इससे पहले इसे मनीऑर्डर के माध्यम से भेजा जाता था। काफी तादाद में किसी न किसी कारण से मनीऑर्डर बिना भुगतान के ही वापस आ जाते थे जिन्हें फिर से तहसील कल्याण अधिकारी अपने प्रयासों से लाभार्थियों तक पहुंचाते थे मगर जोगिंद्रनगर तहसील में सैकड़ों मामलों में ऐसा नहीं हुआ और अब वित्तीय गड़बड़ी सामने आ रही है।