मार्च में विधानसभा का घेराव करेंगे हिमाचल के किसान, जानिए क्या है वजह

Edited By Ekta, Updated: 21 Nov, 2018 05:49 PM

farmers of himachal will enclosue assembly in march

हिमाचल प्रदेश के किसानों ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर से आंदोलन करने की रणनीति बना ली है। हिमाचल प्रदेश के किसानों से सेब सीजन के दौरान हुई लूट को रोकने में नाकामयाब प्रदेश सरकार के खिलाफ मार्च में विधानसभा का घेराव करने का फैसला लिया है। शिमला में...

शिमला (योगराज शर्मा): हिमाचल प्रदेश के किसानों ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर से आंदोलन करने की रणनीति बना ली है। हिमाचल प्रदेश के किसानों से सेब सीजन के दौरान हुई लूट को रोकने में नाकामयाब प्रदेश सरकार के खिलाफ मार्च में विधानसभा का घेराव करने का फैसला लिया है। शिमला में हुए किसान संघर्ष समिति के अधिवेशन में किसानों ने ये फैसला लिया है। सीपीएम के ठियोग विधानसभा क्षेत्र के एकमात्र विधायक व किसान नेता राकेश सिंघा ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने मॉनसून सत्र के दौरान किसानों से लूट को रोकने का वादा किया था लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर पाई है। 
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35 प्रतिशत सेब किसानों को पेमेंट नहीं मिली

इस वर्ष भी 35 प्रतिशत सेब किसानों को पेमेंट नहीं मिली है और मंडियों में सेब उतारने के नाम पर 30 रुपये प्रति पेटी पैसे काटे गए हैं जबकि सरकार ने किसान से 5 रुपए से ज्यादा न काटने की बात कही थी। किसान संघर्ष समिति ने इन मुद्दों को लेकर जनवरी महीने तक प्रदेश के सभी ब्लाकों के किसानों को संगठित करके मार्च में विधानसभा का कूच करने का निर्णय लिया है। वहीं किसानों ने बताया कि सरकार आढ़तियों की लूट रोकने के लिए कोई काम नहीं कर रही है। पिछले कई सालों से किसानों के साथ लूट हो रही है।  

किसानों की जेब में फसल की दवाई और खाद खरीदने के लिए पैसे नहीं 

आढ़तियों द्वारा दिए हुए चेक बाउन्स हो गए हैं। सेब की लाखों की पेमेंट फंसी हुई है जिसके लिए पुलिस और एपीएमसी से शिकायत की गई है। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई आढ़तियों पर नहीं की गई है। किसानों की जेब में अगली फसल के लिए दवाई और खाद खरीदने के लिए पैसे नहीं है। सरकार को ऐसे फर्जी आढ़तियों के लाइसेंस रद्द करने चाहिए जिससे अगले साल उनके साथ फिर से कोई लूट ना हो सके। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में सेब किसानों की आय का मुख्य साधन है लेकिन सेब उनकी मेहनत पर मंडियों में आढ़ती डाका डाल रहे हैं और सरकार इस मनमानी को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है जिस वजह से किसान सड़कों पर संघर्ष करने के लिए मजबूर है। 


 

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