Edited By kirti, Updated: 02 Aug, 2019 10:23 AM
समुद्र तल से करीब 8500 फुट की ऊंचाई पर देवदार के ऊंचे पेड़ों के बीच ऊहल नदी के किनारे स्थित बैजनाथ उपमंडल के छोटा भंगाल क्षेत्र के किसान बेमौसमी सब्जियां उगाकर मालामाल हो रहे हैं। छोटा भंगाल क्षेत्र में लगभग 2700 हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। कृषि...
धर्मशाला : समुद्र तल से करीब 8500 फुट की ऊंचाई पर देवदार के ऊंचे पेड़ों के बीच ऊहल नदी के किनारे स्थित बैजनाथ उपमंडल के छोटा भंगाल क्षेत्र के किसान बेमौसमी सब्जियां उगाकर मालामाल हो रहे हैं। छोटा भंगाल क्षेत्र में लगभग 2700 हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। कृषि विभाग के सहयोग से प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करके यहां के किसान अपने खेतों में बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन से 25 हजार रुपए प्रति कनाल तक कमा रहे हैं जबकि पहले परम्परागत खेती से वे 4 से 5 हजार रुपए प्रति कनाल ही कमा पाते थे।
छोटा भंगाल में लगभग 700 हैक्टेयर क्षेत्र में बंद गोभी, फूल गोभी, ब्रोकली, मूली और धनिया का उत्पादन बहुतायत में हो रहा है। छोटा भंगाल की 7 पंचायतों में कोठी कोहड़, बड़ाग्रां, धरमान, मुल्थान, स्वाई, पोङ्क्षलग और लुआई में हर साल लगभग 7000 टन बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन से इलाके के सैंकड़ों किसानों को लगभग 11 करोड़ रुपए की आय प्राप्त हो रही है। क्षेत्र के किसान आलू, गैहूं, राजमाह और मक्की की खेती भी करते हैं। सरकार ने किसानों द्वारा उगाई सब्जियों को उनके घर के समीप बेचने की सुविधा के लिए मुल्थान में सब्जी मंडी खोली है। छोटा भंगाल के किसान अपने उत्पाद प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में भी बेच रहे हैं।
प्राकृतिक खेती के विशेषज्ञ सुभाष पालेकर ने छोटा भंगाल के प्रगतिशील किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण भी दिया है। कोठी-कोहड़ के रूप लाल और बड़ाग्रां के जसवंत सिंह व रूप लाल भी स्थानीय लोगों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। कृषि विभाग ने नाबार्ड की सहायता से एकीकृत जलागम परियोजना के तहत पंचायत कोठी कोहड़, बड़ाग्रां, धरमान, मुल्थान और लुआई में 2 करोड़ रुपए की लागत से सिं्प्रकलर सिंचाई सुविधा शुरू की है। इससे किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा उपलब्ध होने से सब्जी उत्पादन में वृद्धि दर्ज हुई है।