किसानों ने जुखाला में फूंका केंद्रीय कृषि मंत्री का पुतला

Edited By Vijay, Updated: 09 Jan, 2021 06:37 PM

farmers burnt effigy of union agriculture minister

जुखाला में पार्वती कोलडैम ट्रांसमिशन लाइन शोषित जागरूकता मंच तथा भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले दिल्ली में किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन के पक्ष में चल रहा क्रमिक धरना-प्रदर्शन 11वें दिन भी जारी रहा। पिछले 11 दिनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने...

बिलासपुर (बंशीधर): जुखाला में पार्वती कोलडैम ट्रांसमिशन लाइन शोषित जागरूकता मंच तथा भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले दिल्ली में किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन के पक्ष में चल रहा क्रमिक धरना-प्रदर्शन 11वें दिन भी जारी रहा। पिछले 11 दिनों से प्रदर्शन कर रहे किसानों ने शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री का पुतला दहन किया तथा इस दौरान केंद्र सरकार के विरूद्ध जमकर नारेबाजी भी की। किसानों ने प्रधानमंत्री से कृषि मंत्री को तुरंत बर्खास्त करने तथा मामले में मध्यस्थता कर उचित निराकरण करने की अपील भी की है तथा इंडियन टैलीग्राफ  एक्ट 1885 को भी देश के लाखों किसानों के हित में खारिज करने का आग्रह किया।

इस अवसर पर मंच के राष्ट्रीय संयोजक रजनीश शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार तथा कृषि मंत्री देश के लाखों किसानों तथा संविधान का  उल्लंघन कर आंदोलनरत किसानों के संगठनों को यह कहकर बेवकूफ  बनाने का काम कर रहे हैं कि  सर्वोच्च न्यायालय में तारीख फिक्स हुई है तथा किसानों को उसका इंतजार करना चाहिए जबकि किसान विरोधी कानून केंद्र सरकार ने बनाया है। मंच के राज्य अध्यक्ष खूब राम सोनी ने कहा कि केंद्र सरकार ने बिना चर्चा के कोरोना काल में यह गलत कानून  जल्दबाजी में तथा किसानों के सुझावों को आमंत्रित किए बिना ही पारित किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के चारों बार्डरों पर कड़ाके की ठंड में लाखों किसान केंद्र सरकार की जन विरोधी व किसान विरोधी नीतियों के विरुद्ध आंदोलन कर रहे हैं न कि सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ।

उधर, मंच के प्रदेश कानूनी सलाहकार अधिवक्ता अजय नड्डा ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि अपने बुनियादी अधिकारों के लिए शांतिप्रिय तरीके से आंदोलन करना किसानों के मौलिक अधिकार में शामिल है। इसलिए केंद्र सरकार को रूल ऑफ  लॉ की स्थिति बरकरार रखने हेतु अपने गलत फैसलों के लिए किसानों से माफी मांग कर तीनों कृषि अध्यादेश वापस लेने से परहेज नहीं करना चाहिए क्योंकि पूरे देश की जनता ने यह समझ लिया है कि यह कानून मात्र चंद उद्योगपतियों को मुनाफा पहुंचाने हेतु खेती तथा किसान को उद्योगपतियों के हाथों में बेचने के लिए बनाया गया है तथा सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को बढ़ावा देने की बजाए उद्योगपतियों को बढ़ावा दे रही है। इसलिए जान-बूझकर इस काले कानून में न्यायालय जाने के अधिकार से भी किसानों को वंचित कर दिया गया है जोकि सरकार के किसान विरोधी, मजदूर विरोधी व वकील विरोधी होने का सबूत है।

उन्होंने कहा कि इसलिए पूरे देश के वकील भी इस कानून का विरोध कर रहे हैं। इस कानून के जरिए अधिवक्ताओं के साथ भी धोखा किया गया है। भारतीय किसान यूनियन व टॉवर लाइन शोषित जागरूकता मंच ने एकमत से देश के प्रधानमंत्री से संवेदनशील  मामले में मध्यस्थतता कर देश के किसानों के हित में कृषि अध्यादेश को वापस लेने तथा आंदोलनरत किसानों के पक्ष में फैसला लेकर उन्हें घर वापस भेजने की अपील की है। साथ ही किसान संगठनों ने तुरंत प्रभाव से कृषि मंत्री को बर्खास्त करने की गुजारिश की है।

शनिवार को धरने की अगुवाई महिलाओं ने की। धरने पर इंदु ठाकुर, मंजू देवी, सुनीता देवी, सावित्री देवी, बिमला देवी, किरण ठाकुर व कांता ठाकुर बैठीं। इस अवसर पर बाबूराम ठाकुर, हरि सिंह ठाकुर, प्रकाश सिंह ठाकुर, रूपलाल ठाकुरख् बाबूराम, सुखदेव, हीरालाल, बालकराम, निक्कू राम, रंजीत, प्रेम लाल भडोल आदि भी मौजूद रहे।

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