Edited By Vijay, Updated: 11 Jan, 2020 11:03 PM
गंभीर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही प्रदेश सरकार ने आय के नए साधन तलाशने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत आबकारी कर से खजाना भरने के अलावा नए वित्त वर्ष में सरकार की नजर खनन से आने वाले राजस्व पर है।
शिमला (ब्यूरो): गंभीर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही प्रदेश सरकार ने आय के नए साधन तलाशने शुरू कर दिए हैं। इसके तहत आबकारी कर से खजाना भरने के अलावा नए वित्त वर्ष में सरकार की नजर खनन से आने वाले राजस्व पर है। खनन से राजस्व को जुटाने के लिए सरकार ने चरणबद्ध तरीके से खदानों की नीलामी भी शुरू कर दी है ताकि अवैध खनन को रोकने के अलावा सरकारी खजाना भी भर सके। सरकार का लक्ष्य है कि आगामी वित्तीय वर्ष में खनन से 300 करोड़ रुपए तक का राजस्व कमाया जा सके।
उल्लेखनीय है कि सरकारी प्रयासों के बावजूद दिसम्बर, 2019 में 3653.68 करोड़ रुपए का सकल राजस्व एकत्र हुआ है। आबकारी कर से आने वाला यह राजस्व सरकारी खजाने को भरने के लिए काफी नहीं है, इसके लिए आय के नए साधन तलाशने के अलावा पहले से राजस्व कमाई के साधनों में अधिक संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। इसलिए नए साल में सिरमौर, बिलासपुर, शिमला और कांगड़ा सहित अन्य जिलों में उद्योग विभाग के माध्यम से खदानों की नीलामी की प्रक्रिया जारी है।
उद्योग विभाग की तरफ से इसके लिए सिरमौर और बिलासपुर जिला से पहले शिमला और कांगड़ा में नीलामी प्रक्रिया को शुरू किया जा चुका है। हालांकि खनन की इस प्रक्रिया पर कुछ स्थानों पर स्थानीय लोगों ने भी सवाल उठाए हैं लेकिन अवैध खनन को रोकने के लिए सरकार खदानों की नीलामी करके जवाबदेही को तय कर रही है। इसके अलावा अवैध खनन में जुटे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।