विटामिन-डी की कमी से जूझ रही हर तीसरी महिला

Edited By Ekta, Updated: 19 Aug, 2018 01:23 PM

every third woman struggling with vitamin d deficiency

आज कल हर कोई कमजोर हड्डियों व उनसे पनपने वाली बीमारियों से ग्रसित है। डाक्टरों की मानें तो आजकल हर तीसरी महिला हड्डियों के दर्द व पीठ दर्द के कारण अस्पताल के चक्कर काट रही है। पीठ दर्द का मुख्य कारण विटामिन-डी की कमी होना पाया जा रहा है। जानकारी के...

हमीरपुर (अंकिता): आज कल हर कोई कमजोर हड्डियों व उनसे पनपने वाली बीमारियों से ग्रसित है। डाक्टरों की मानें तो आजकल हर तीसरी महिला हड्डियों के दर्द व पीठ दर्द के कारण अस्पताल के चक्कर काट रही है। पीठ दर्द का मुख्य कारण विटामिन-डी की कमी होना पाया जा रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि विटामिन-डी हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक होता है। यदि व्यक्ति के शरीर में विटामिन-डी की कमी होगी तो हड्डियां कमजोर होंगी और व्यक्ति को विशेषकर जोड़ों व पीठ के दर्द की शिकायत रहेगी। 

विशेषज्ञ से हुई मुलाकात के दौरान उन्होंने बताया कि यह परेशानी धूप में न जाने व दिन-प्रतिदिन बदतली आदतों के कारण पेश आ रही है। आजकल की पीढ़ी केवल टी.वी. व इंटरनैट तक ही सीमित रह गई है। उनकी दुनिया उनके कमरे व आधुनिक उपकरणों में सिमट कर रह गई है। अब लोग खेतों में जाना व सैर सपाटे पर जाने के बजाय अपना ज्यादातर समय बिस्तर पर लेटे-लेटे नैट सरफिंग करने में बीताना उचित समझते हैं। इस प्रकार की दिनचर्या के कारण उन्हें सूरज की किरणों से मिलने वाली विटामिन-डी नहीं मिल पाती है व जिसके अभाव में लोग दिन-प्रतिदिन विटामिन-डी की कमी के कारण होने वाली बीमारियों से जूझ रहे हैं। 

5 प्रकार की होती है विटामिन-डी
विटामिन-डी के 5 प्रकार होते हैं: डी-1, डी-2, डी-3, डी-4 और डी-5। मानव शरीर के लिए विटामिन डी-2 और डी-3 सबसे महत्वपूर्ण है। इन्हें संयुक्त रूप से कैल्सिफेरल कहा जाता है। विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूर्य की किरणें हैं। जब हमारे शरीर की खुली त्वचा सूरज की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों के संपर्क में आती है तो ये किरणें त्वचा में अवशोषित होकर विटामिन डी का निर्माण करती हैं। इसलिए जितना हो सके सूर्य की किरणों के संपर्क में रहें।

ऐसे दूर हो सकती है विटामिन की कमी
सुबह-सुबह सूरज की किरणें विटामिन-डी से भरपूर होती हैं व ऐसे में अगर कोई व्यक्ति सप्ताह में तीन बार भी 10-15 मिनट तक धूप में रहता है तो उसका शरीर खुद ही विटामिन डी को बनाने लगता है। हलांकि विटामिन-डी की कमी को पूरा करने का स्रोत सूर्य की किरणें ही हैं लेकिन इसके साथ ही मछली, अंडा, दूध, पनीर, संतरे का जूस व मशरूम आदि का सेवन करने से भी विटामिन-डी की कमी पूरी की जा सकती है।    

विटामिन-डी की कमी के कारण होती हैं ये बीमारियां
विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स या सूखा रोग और बड़ों में ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा होता है। इसके साथ ही पीठ दर्द व जोड़ों में भी दर्द की शिकायत रहती है। बच्चों में लंबे समय तक विटामिन डी की कमी बने रहना एनीमिया रोग का कारण बन सकती है। यदि रक्त में विटामिन-डी का स्तर 30 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर से कम है तो ऐसे में बच्चे के एनीमिया ग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है, जिससे बच्चों की सेहत पर दोगुना खतरा बना रहता है।

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