आज भी अंधेरे में रात बिताने को मजबूर है यहां के लोग

Edited By kirti, Updated: 11 Nov, 2018 05:52 PM

even today people are forced to spend the night in the dark

प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री अनिल एक ओर कह रहे हैं कि प्रदेश में ऐसा कोई भी गांव नहीं हैं, जो अंधेरे में गुजर-बसर कर रहा हो लेकिन शायद मंत्री महोदय यह बात भूल गए कि जिस उपमंडल में वह इस तरह की बातें कर रहे हैं, वहीं पर 3 गांव सदियों से अंधेरे में...

कुल्लू : प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री अनिल एक ओर कह रहे हैं कि प्रदेश में ऐसा कोई भी गांव नहीं हैं, जो अंधेरे में गुजर-बसर कर रहा हो लेकिन शायद मंत्री महोदय यह बात भूल गए कि जिस उपमंडल में वह इस तरह की बातें कर रहे हैं, वहीं पर 3 गांव सदियों से अंधेरे में रातें गुजार रहे हैं। जनमंच समस्याओं के दौरान मंत्री ने मंच से विद्युत के बारे में बड़ी-बड़ी बातें कहीं। उन्होंने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश के पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां कोई ऐसा गांव नहीं है जहां पर बिजली नहीं पहुंची है। हमारा महकमा इस दिशा में उम्दा काम कर रहा है और लोगों को इस बारे में विभाग से कोई भी नाराजगी भी नहीं है।

जब उनसे पूछा गया कि बंजार विधानसभा क्षेत्र के 3 ऐसे गांव ऐसे हैं जहां पर आज तक बिजली नहीं पहुंची और प्रदेश में ऐसे और कितने गांव हैं जहां पर बिजली नहीं पहुंची है। मंत्री अनिल शर्मा को अपने विभाग की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने तपाक से कहा कि प्रदेश में ऐसा कोई भी गांव नहीं है, जो बिजली के बिना अंधेरे में रहता है। आजादी के 70 वर्षों के बाद भी बंजार विधानसभा के 3 गांव भाग्य रेखा कही जाने वाली सड़क और बिजली से महरूम हैं। यहां के लोग चुनावों के दौरान भी कई मर्तबा चुनाव बहिष्कार की धमकी दे चुके हैं। सरकारें आती और जाती हैं लेकिन इन गांवों की समस्याओं की ओर किसी का भी ध्यान नहीं गया है। हैरत की बात तो यह है कि हर बार इनसे वोट मांगते समय इन गांवों की समस्याओं को दूर करने की बात की जाती है लेकिन जीत का सेहरा पहनने के बाद इनकी समस्याओं से विधायक दूरियां पाटते नजर आते हैं।

सड़क से 32 किलोमीटर का फासला करना पड़ता है पैदल तय 
बंजार विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले 3 गांव ऐसे हैं जहां न तो सड़क पहुंची है और न ही बिजली। शाक्टी, मरोड़ और शुगाड़ इन गांवों के नाम हैं। अभी तक इन गांवों में बिजली की लाइनें भी नहीं बिछ पाई हैं। न्यूली से मरोड़ तक जाने के लिए ग्रामीणों को 32 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता है। इन 3 गांवों में 200 से अधिक आबादी रहती है। इन बाशिंदों को मोबाइल चार्ज भी बाहर से करवाने पड़ते हैं। अगर गांवों में सूर्यदेव ने दर्शन नहीं दिए तो इन्हें अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गांवों में जब कोई बीमार होता है तो इन लोगों के लिए समस्याओं का अंबार लग जाता है। अभी तक बिजली का करंट इन गांवों तक नहीं पहुंच पाया है। स्कूली छात्रों को इसका सबसे अधिक खमियाजा भुगतना पड़ता है। 
 

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