सालों बीत जाने के बाद भी अफसरशाही को यह मालूम नहीं, HC ने की थी ग्रीन एरिया में निर्माण की मनाही

Edited By kirti, Updated: 18 Aug, 2018 09:47 AM

even after years have passed the bureaucracy does not know

विला राऊंड में हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद हरे पेड़ों का कटान और निर्माण कार्य की अनुमति देने का मामला अफसरशाही के गले की फांस बनता जा रहा है। सालों बीत जाने के बाद भी नगर परिषद विला राऊंड क्षेत्र में यह तय नहीं कर सकी है कि सड़क से ऊपर हिल साइड...

 

नाहन : विला राऊंड में हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद हरे पेड़ों का कटान और निर्माण कार्य की अनुमति देने का मामला अफसरशाही के गले की फांस बनता जा रहा है। सालों बीत जाने के बाद भी नगर परिषद विला राऊंड क्षेत्र में यह तय नहीं कर सकी है कि सड़क से ऊपर हिल साइड में आखिरकार ग्रीन एरिया कहां तक माना जाएगा। सूत्रों की मानें तो हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी आज तक विला राऊंड क्षेत्र में ग्रीन एरिया तय करने के लिए पैमाइश तक नहीं हुई है। नगर परिषद से लेकर जिला प्रशासन तक के अधिकारी कोर्ट के आदेशों और नगर परिषद के हल्फिया बयान की अपने-अपने स्तर पर व्याख्या करते रहे हैं। उधर, पर्यावरण समिति अब एक बार फिर ग्रीन एरिया के मामले में अदालत के आदेशों की हो रही अवहेलना को लेकर पुन: जनहित याचिका दायर करेगी।

नगर परिषद ने दिया था हल्फिया बयान
पर्यावरण समिति के अनुसार शहर की ऐतिहासिक धरोहरों व सैरगाह विला राऊंड को बचाने के मामले में 1987 में नागरिक सभा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, तब हाईकोर्ट ने नगर परिषद से जवाब तलब किया था। उस समय नगर परिषद ने हाईकोर्ट में हल्फिया बयान दिया था कि नगर परिषद ने विला राऊंड क्षेत्र में निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद पिछले कई सालों से निर्माण कार्य की अनुमति दी जा रही है।

हैरानी की बात यह है कि एक ओर निर्माण कार्य पर प्रतिबंध की बात की जाती है तो दूसरी ओर जिला प्रशासन विला राऊंड क्षेत्र में जहां सरकारी इमारतों के लिए पेड़ों के कटान की अनुमति भी किसी न किसी तरीके से दे रहा है। नगर परिषद जिस पर विला राऊंड के रखरखाव व ग्रीन एरिया को बचाने की जिम्मेदारी है, वह उस क्षेत्र में कार्यालयों के लिए जमीन भी दे रही है, नक्शे भी पास करती है और एन.ओ.सी. भी देती है। ऐसे में मांग की जा रही है कि विला राऊंड में गेट टू गेट अप हिल साइड पर ग्रीन एरिया तय किया जाए और यह बताया जाए कि कितने मीटर तक ग्रीन एरिया रखा गया है।

5 बीघा जमीन बिजली बोर्ड की भी जद्द में
बिजली बोर्ड ने 5 बीघा जमीन 1983 में खरीदी थी। इस जमीन पर बोर्ड ने करीब 30 लाख रुपए खर्च किए थे। यह 5 बीघा भूमि भी सड़क के साथ लगती है। यहां बोर्ड अपना कार्यालय व रिहायशी कालोनी बनाना चाहता है। जब निर्माण के लिए बोर्ड आगे आता है, तब विवाद हो जाता है। 

 

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