उपचुनाव पर धर्मशाला में सरगर्मियां तेज, BJP में दावेदारों को लेकर कशमकश तो कांग्रेस में गुटबाजी का डर

Edited By Ekta, Updated: 19 Sep, 2019 10:40 AM

enthusiasts intensified in dharamshala on the by election

उपचुनाव की तिथियों का आधिकारिक ऐलान होने से पहले ही धर्मशाला में राजनीतिक सरगर्मियां उफान पर हैं। सत्तारूढ़ भाजपा ने बेशक उपचुनाव की जोर-शोर से तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन पार्टी के भीतर टिकट के चाहवानों की लम्बी कतार को देखते हुए शीर्ष स्तर पर...

धर्मशाला (सौरभ): उपचुनाव की तिथियों का आधिकारिक ऐलान होने से पहले ही धर्मशाला में राजनीतिक सरगर्मियां उफान पर हैं। सत्तारूढ़ भाजपा ने बेशक उपचुनाव की जोर-शोर से तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन पार्टी के भीतर टिकट के चाहवानों की लम्बी कतार को देखते हुए शीर्ष स्तर पर अभी तक उम्मीदवार को लेकर कशमकश जारी है। ऐसे में धर्मशाला से लेकर दिल्ली दरबार तक अभी भी लॉबिंग का दौर जारी है। पार्टी के भीतर 3 नाम प्रमुखता से चल रहे हैं लेकिन उम्मीदवार को लेकर सरकार, संगठन और आर.एस.एस. की पसंद अलग-अलग होने के चलते अभी तक पार्टी के आला नेता स्थानीय कार्यकर्ताओं के मन की थाह लेने में जुटे हुए हैं। साथ ही स्थानीय व जातिगत समीकरणों को भी राजनीतिक तराजू में तोला जा रहा है।  

मनमाफिक उम्मीदवार पर मुहर न लगने की स्थिति में सांसद किशन कपूर की कथित नाराजगी को लेकर भी पार्टी के भीतर मंथन चल रहा है। इस बीच पार्टी ने संगठनात्मक दृष्टि से बूथ स्तर पर बैठकों का सिलसिला शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पहले ही धर्मशाला का 2 बार दौरा कर चुके हैं। उधर, उपचुनाव की तैयारियों में अभी तक कमतर दिख रही कांग्रेस के भीतर गुटबाजी को रोकने के लिए जद्दोजहद जारी है। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद पस्त पड़े कार्यकर्ताओं में जोश जगाने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने हाल ही में पर्यवेक्षक फील्ड में उतारे हैं लेकिन जिस तरह धर्मशाला में पार्टी का चेहरा माने जाने वाले पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने पार्टी के युवा विंग के खिलाफ तलवारें खिंची हैं। उससे पार्टी की आपसी रार सामने आ गई है। 

सियासी सूत्रों की मानें तो दिल्ली में बीते कई दिनों से डटे सुधीर आलाकमान से सकारात्मक संकेत मिलते ही धर्मशाला लौटने के तुरंत बाद अपने समर्थकों संग फील्ड में उतर गए हैं। इसी कड़ी में सुधीर ने बुधवार को धर्मशाला में रैली के जरिए भाजपा को पत्र बम प्रकरण पर घेरकर उपचुनाव की जंग लड़ने की पटकथा तैयार कर दी, लेकिन धर्मशाला में ही एक अलग कार्यक्रम में जुटे युवा कांग्रेसियों ने पूर्व मंत्री के आरोपों को लेकर पलटवार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिससे पार्टी की आपसी कलह जगजाहिर हो गई है। 

6 बार भाजपा, 5 बार कांग्रेस ने जीता चुनाव

धर्मशाला में वर्ष 1967 के बाद हुए 12 विधानसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला रहा है। हालांकि 1990 के बाद से धर्मशाला भाजपा का गढ़ बना रहा है। बीते 7 विधानसभा चुनावों में से 5 चुनावों में भाजपा प्रत्याशी किशन कपूर विजयी रहे हैं। कांग्रेस ने बीते 3 दशकों में केवल 2003 और 2012 के चुनावों में जीत दर्ज की। आंकड़ों पर नजर डालें तो 1967 के चुनाव में कांग्रेस के आर.के. चंद विजयी रहे थे। 1972 के चुनाव में कांग्रेस के ही चंद्र वर्कर ने जीत दर्ज की। 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार बृज लाल ने पहली बार कांग्रेस को मात दी। जनता पार्टी के विघटन के बाद 1982 में बृज लाल ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में लगातार दूसरी जीत हासिल की। 1985 में कांग्रेस ने धर्मशाला की सीट पुन: हासिल की। इस चुनाव में कांग्रेस के मूलराज पाधा विजयी हुए थे। 1990 से लेकर 1998 के चुनाव में भाजपा के किशन कपूर लगातार 3 बार विजयी रहे। 2003 में कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी ने चुनाव जीता जबकि 2007 में किशन कपूर दोबारा विधायक चुने गए। 2012 में कांग्रेस के सुधीर शर्मा ने किशन कपूर को हराया जबकि 2017 में किशन कपूर ने सुधीर को हराकर हिसाब बराबर कर दिया।    

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