चुनावी दौर में निष्ठाएं बदलने पर जोर, हाशिए पर चल रहे नेताओं पर डाले जा रहे डोरे

Edited By Ekta, Updated: 28 Apr, 2019 10:45 AM

emphasis on changing loyalties election round

लोकसभा चुनाव में हाशिए पर चल रहे नेताओं के निष्ठा बदलने का दौर जारी है। इस फेहरिस्त में अब रामपुर से 6 बार विधायक रहे पूर्व मंत्री सिंघी राम कांग्रेस को गुड बॉय कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। कई और नेता भी सियासी नफा-नुक्सान का गुणा-भाग कर पाला बदलने...

धर्मशाला (सौरभ सूद): लोकसभा चुनाव में हाशिए पर चल रहे नेताओं के निष्ठा बदलने का दौर जारी है। इस फेहरिस्त में अब रामपुर से 6 बार विधायक रहे पूर्व मंत्री सिंघी राम कांग्रेस को गुड बॉय कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। कई और नेता भी सियासी नफा-नुक्सान का गुणा-भाग कर पाला बदलने को तैयार बैठे हैं। ऐसे नेताओं पर दोनों दलों की पूरी नजर है और उन्हें अपने पाले में करने के लिए खूब सियासी दांव आजमाए जा रहे हैं। साथ ही पॉलीटिकल डैमेज की आशंका दूर करने के लिए रूठे नेताओं के मान-मनौव्वल का दौर भी जारी है। पहले वरिष्ठ नेता सुखराम व उनके पोते आश्रय शर्मा और फिर भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व सांसद सुरेश चंदेल को पार्टी में शामिल करने के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की नजर लंबे अरसे से दरकिनार पूर्व मंत्री खीमी राम, डा. राजन सुशांत और भोरंज के पूर्व विधायक डा. अनिल धीमान पर है। 

खीमी राम व डा. सुशांत ने हालांकि अपने पत्ते नहीं खोले हैं, जबकि अनिल धीमान अपनी नाराजगी भुलाकर बीते दिन से भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने उतर गए हैं। वहीं, भितरघात की संभावना टालने के लिए कांग्रेस पिछले चुनावों में बागी तेवर अख्तियार कर चुके शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर हरीश जनार्था और नालागढ़ से इंटक नेता हरदीप बावा को पुन: सदस्यता दे चुकी है। भाजपा ने भी कांग्रेस से नाराज नेताओं के लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं। सिंघी राम की एंट्री इसी परिप्रेक्ष्य में हुई है। भाजपा ने तो कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुक्खू को भी पार्टी में आने का खुला ऑफर दे दिया है। भाजपा की नजर कांग्रेस में हाशिए पर चल रहे कुछ अन्य नेताओं पर भी है। भाजपा ने भी बीते विस चुनावों में बागी हुए नेताओं को एक और चांस देने की रणनीति पर अमल शुरू कर दिया है।

हिलोपा के संस्थापकों में शुमार पूर्व मंत्री महेंद्र नाथ सोफत की पार्टी में वापसी के बाद बीते शुक्रवार को पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीण कुमार व फतेहपुर के बलदेव ठाकुर सरीखे नेताओं की पार्टी में वापसी इसी रणनीति का हिस्सा है। नालागढ़ से पूर्व विधायक स्व. हरिनारायण ठाकुर के भतीजे हरप्रीत सैनी भी भाजपा में लौट आए हैं। परागपुर (अब जसवां-परागपुर) हलके के पूर्व विधायक नवीन धीमान और भोरंज के पूर्व विधायक अनिल धीमान से भी सभी गिले-शिकवे दूर कर लिए गए हैं। इसी तरह टिकट के प्रबल दावेदार एच.एन. कश्यप को मनाने में भी भाजपा सफल रही है। एच.एन. कश्यप ने बताया कि मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद वह संतुष्ट हैं। वह भाजपा में ही रहेंगे तथा पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में काम कर रहे हैं।

सियासी परिदृश्य से गायब कई नेता

लोकसभा चुनाव में इस बार दोनों दलों के कई नेता सियासी परिदृश्य से लगभग गायब हैं। रेणुका विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व विधायक एवं नौकरशाह रहे हृदय राम को भाजपा में वापसी का इंतजार है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व राज्य भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही उनकी पार्टी में वापसी होगी। इस आश्वासन के बाद वह लगातार चुनाव प्रचार में लगे हैं। बीते विस चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर हृदय राम ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। मंडी में पूर्व मंत्री रूप सिंह, चम्बा में पूर्व विधायक बी.के. चौहान व डी.के. सोनी भी प्रचार से दूर हैं। कांगड़ा में टिकट के दावेदार रहे पार्टी के कुछ नेता भी चुनाव प्रचार से कन्नी काट रहे हैं। उधर, कांग्रेस में भी स्थिति अलग नहीं है। मंडी में कांग्रेस के दो बार जिलाध्यक्ष रहे पूर्ण चंद ठाकुर कौल सिंह के खिलाफ पिछला चुनाव लड़ने के बाद अभी तक बगावती सुर अपनाए हुए हैं। पूर्ण चंद ने कहा कि वे कांग्रेस में वापस नहीं जाएंगे क्योंकि सी.एम. जयराम ठाकुर ने उन्हें पूरा सम्मान दिया हुआ है। हालांकि उन्होंने अभी भाजपा की सदस्यता नहीं ली है। सांसद वीरेंद्र कश्यप टिकट कटने के बावजूद भाजपा के साथ चल रहे हैं।

खीमी राम की दूरियां

भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष पंडित खीमी राम भी चुनाव में सियासी गतिविधियों व सभाओं से दूरियां बनाए हुए हैं। इस बारे प्रदेश भाजपा प्रवक्ता अजय राणा कहते हैं कि पंडित खीमी राम भाजपा के नेता हैं और पार्टी के लिए काम भी कर रहे हैं। हो सकता है निजी व्यस्तता के कारण वे कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो रहे हैं।

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