HRTC के गले की फांस बनीं इलैक्ट्रिक कैब, डिपुओं में खा रहीं जंग

Edited By Punjab Kesari, Updated: 24 Nov, 2017 01:34 AM

electric cab clapnet of hrtc  s throat  eating rust in depots

एच.आर.टी.सी. प्रबंधन की एक और लापरवाही निगम को घाटे में डालने जा रही है।

मंडी: एच.आर.टी.सी. प्रबंधन की एक और लापरवाही निगम को घाटे में डालने जा रही है। इस बार धरातल की आवश्यकताओं व ढांचागत सुविधाओं का आकलन किए बगैर सरकारी पैसे से पर्यावरण के नाम पर बिना सोचे-समझे की गई इलैक्ट्रिक कैब व बसों की खरीददारी अब एच.आर.टी.सी. के लिए गले की फांस बन गई है। दीगर है कि इलैक्ट्रिक बसों के लिए निगम चर्जिंग स्टेशन ही उपलब्ध नहीं करवा पाया पाया है, जिस कारण अब ये वर्कशॉप में धूल फांक रही हैं। हालांकि हर क्षेत्रीय डिपो में भेजी गई राइड विद प्राइड के आकर्षक स्लोगन वाली इलैक्ट्रिक टैक्सियां सुविधाजनक हैं लेकिन प्रबंधन की लापरवाही से अब जंग खा रही हैं। लगभग 10 लाख रुपए की एक कैब है और हर डिपो में इन्हें शोपीस की तरह खड़ा कर दिया गया है। इनके लिए न तो कोई परमिट अभी तक लिया गया है और न कोई रूट आर.टी.ओ. से तय हो पा रहा है।

बिना तैयारियों के खरीदने की जल्दबाजी क्यों?
प्रदेश में यदि 18 दिसम्बर के बाद सत्ता परिवर्तन होता है तो इन कैबों की बिना सोचे-समझे खरीद का मामला तूल पकड़ सकता है और जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। अभी भले ही अधिकारी इन्हें चलाने के लिए आचार संहिता की आड़ ले रहे हों मगर इसका जवाब किसी के पास नहीं है कि जब जमीनी स्तर पर इनकी जरूरत ही नहीं थी और पहले से तैयारी ही नहीं थी तो चुनावों से ठीक पहले इन्हें खरीदने की जल्दबाजी क्यों की गई। 

एक इलैक्ट्रिक ऑटो को भी दिखाई थी हरी झंडी 
बता दें कि परिवहन मंत्री जी.एस. बाली ने एक वर्ष पूर्व मंडी बस स्टैंड के दूसरे चरण के उद्घाटन अवसर पर एक इलैक्ट्रिक ऑटो को भी हरी झंडी दिखाई थी लेकिन बाद में पता चला कि इन्हें न तो आर.टी.ओ. ने पास किया है और न इनके लिए परमिट की सुविधा मिल पाई है। बाद में वह इलैक्ट्रिक ऑटो आज तक दिखाई नहीं दिया। 

क्षेत्रीय प्रबंधकों ने खड़े किए हाथ
यही नहीं, प्रबंधन के पास स्टाफ भी नहीं है। ये कैब सैवन प्लस डी इलैक्ट्रिक यानी 7 सवारियां और चालक के लिए बनाई गई हैं। सूत्रों के अनुसार कई क्षेत्रीय प्रबंधकों ने इन्हें चलाने से हाथ खड़े कर दिए हैं क्योंकि उनके पास न तो इनकी चार्जिंग व्यवस्था ही पर्याप्त है और न उन्हें यह फायदे का सौदा लगता है। ऊपर से जो बड़ी बसें पहले से नियमित रूटों पर चल रही हैं, उनके लिए ही चालकों की कमी है तो फिर इन छोटी कैब को कौन चलाएगा। अब यह निगम के गले की फांस बन गई हैं। 

जल्द अप्लाई किए जाएंगे रूट परमिट
एच.आर.टी.सी. मंडी मंडल के अमरनाथ सलारिया ने बताया कि जल्द ही इनके लिए रूट परमिट अप्लाई किए जाएंगे और फिर इन कैब को शहरों के अंदर स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए चलाया जाएगा। जहां तक चार्जिंग की बात है तो कैब को सामान्य इलैक्ट्रिक सोकेट से चार्ज किया जा सकता है। 

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