Edited By kirti, Updated: 14 Oct, 2018 09:33 AM
प्रदेश में पर्यावरण को संरक्षित रखने एवं सैलानियों को बेहतर सुविधा प्रदान के लिए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों पर प्रदेश सरकार ने इलैक्ट्रिक बसें खरीद लीं, बावजूद इसके साल भर से अभी तक ये सभी बसें सड़कों पर नहीं उतर पाई हैं। कारण यह है कि हिमाचल...
मनाली : प्रदेश में पर्यावरण को संरक्षित रखने एवं सैलानियों को बेहतर सुविधा प्रदान के लिए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों पर प्रदेश सरकार ने इलैक्ट्रिक बसें खरीद लीं, बावजूद इसके साल भर से अभी तक ये सभी बसें सड़कों पर नहीं उतर पाई हैं। कारण यह है कि हिमाचल पथ परिवहन निगम के पास इन्हें चलाने के लिए पर्याप्त चालक और परिचालक ही नहीं हैं, ऐसे में जिला को एक वर्ष पहले मिली 25 इलैक्ट्रिक बसों में से मौजूदा समय में केवल 5 बसें ही रूटों पर चल रही हैं।
पर्यटन सीजन के दौरान ही अतिरिक्त बसें रोहतांग दर्रा सहित अन्य रूटों पर दौड़ाई जाती हैं, ऐसे में इलैक्ट्रिक बसों का यह बेड़ा मनाली वोल्वो बस स्टैंड में यू ही खड़ा जंग खाने लगा है।बावजूद इसके इलैक्ट्रिक बसें परिवहन निगम के लिए लाभ का सौदा हैं, लेकिन स्टाफ व चाॄजग स्टेशन की दिक्कत के चलते इतनी संख्या में बसों की खरीद महंगी साबित हो रही है।
पूर्व सरकार के समय लगभग एक करोड़ 99 लाख रुपए प्रति बस के हिसाब से बसों का विशाल बेड़ा खरीदा गया, जिसमें से 25 बसें कुल्लू-मनाली डिपो को दी गईं तथा चाॄजग स्टेशन स्थापित किए गए, तब जाकर नवम्बर, 2017 में मनाली से रोहतांग, मनाली से सोलंग वैली और कुल्लू-मनाली के लिए ये बसें चलाई गईं। सीजन के दौरान 3 महीने तक रोहतांग के लिए अतिरिक्त 11 बसें शुरू की गईं। इसके अलावा सामान्य तौर पर कुल्लू-मनाली, मणिकर्ण-मनाली-सोलंगनाला और भुंतर-मनाली के लिए रूटीन में इलैक्ट्रिक बस सेवा चल रही है।