3 दीवारों वाले जर्जर मकान में बेटे संग रह रही बुजुर्ग महिला

Edited By kirti, Updated: 10 Jun, 2019 10:15 AM

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एक टूटे-फूटे टीननुमा कच्चे एक कमरे वाले जर्जर मकान में वर्षों से एक विधवा बुजुर्ग महिला अपने दिहाड़ीदार बेटे के साथ जान जोखिम में डालकर जीवन-यापन कर रही है। हालात ये हैं कि इस एक कमरे की दीवार को गिरे हुए लगभग 3 साल बीत चुके हैं, लेकिन 3 साल से न तो...

ऊना : एक टूटे-फूटे टीननुमा कच्चे एक कमरे वाले जर्जर मकान में वर्षों से एक विधवा बुजुर्ग महिला अपने दिहाड़ीदार बेटे के साथ जान जोखिम में डालकर जीवन-यापन कर रही है। हालात ये हैं कि इस एक कमरे की दीवार को गिरे हुए लगभग 3 साल बीत चुके हैं, लेकिन 3 साल से न तो यह दीवार बन पाई है और न ही कोई सरकारी मदद मिल पाई है। घर बनाने के लिए केंद्र सहित प्रदेश सरकार की कई योजनाएं हैं, जिनकी लौ अभी तक इस वृद्धा के घर तक नहीं पहुंच पाई है।

कच्चे मकान को गिरने से बचाने के लिए बांस की बल्लियों के सहारे दिए गए हैं। बारिश अंदर न आए इसके लिए टूटी हुई दीवार की तरफ तिरपाल और गले हुए टीन के पतरे लगाए गए हैं। यह दुर्दशा है जिला मुख्यालय के साथ सटे गांव लालसिंगी की 70 वर्षीय सत्या देवी पत्नी स्व. अच्छर सिंह की, जोकि इस मकान में अपने बेटे कृष्ण कुमार के साथ रहती हैं।

लकड़ियों के सहारे गिरने से रोकी जा रही छत

सत्या देवी के कमरे की एक दीवार लगभग 3 साल पहले बारिश के दौरान गिर गई थी, जिसके बाद से वे इसको रिपेयर नहीं करवा पाए हैं। इस दीवार की जगह अब तिरपाल और गले हुए टीन के पतरे लगाकर काम चलाया जा रहा है। छत को गिरने से बचाने के लिए अंदर से लकडिय़ों का सहारा दिया गया है। पूरी तरह से जर्जर हो चुके इस मकान की हालत दिन व दिन और भी खस्ता हो रही है, लेकिन इसी में रहना दोनों मां-बेटे की मजबूरी है।

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