छात्रवृत्ति घोटाले में शिक्षा विभाग ने उठाया बड़ा कदम, जानने के लिए पढ़ें खबर

Edited By Vijay, Updated: 17 Nov, 2018 10:06 PM

education department raised big step in scholarship scam

250 करोड़ से अधिक के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में शिक्षा विभाग ने एफ.आई.आर. दर्ज करवा दी है। यह एफ.आई.आर. शिक्षा विभाग की तरफ स्टेट प्रोजैक्ट ऑफिसर (एस.पी.एम. एंड एन.आई.यू.) शक्ति भूषण द्वारा शहर के छोटा शिमला पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई गई है।

शिमला (राक्टा): 250 करोड़ से अधिक के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में शिक्षा विभाग ने एफ.आई.आर. दर्ज करवा दी है। यह एफ.आई.आर. शिक्षा विभाग की तरफ स्टेट प्रोजैक्ट ऑफिसर (एस.पी.एम. एंड एन.आई.यू.) शक्ति भूषण द्वारा शहर के छोटा शिमला पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाई गई है। ऐसे में पुलिस ने शिकायत के आधार पर आई.पी.सी. की धारा 419, 465, 466 व 471 के तहत मामला दर्ज किया है। स्कॉलरशिप घोटाला देश के कई राज्यों में फैला हुआ है। कई राष्ट्रीयकृत बैंक भी इसमें शामिल हैं।

योजनाओं की मॉनीटरिंग तक नहीं हुई
शिक्षा विभाग द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि कई निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी एडमिशन दिखाकर सरकारी धनराशि का गबन किया गया है। साल 2013-14 से लेकर साल 2016-17 तक किसी भी स्तर पर छात्रवृत्ति योजनाओं की मॉनीटरिंग नहीं हुई। जांच रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ  निजी संस्थानों में बांटा गया, जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला, ऐसे में कई अब कई चेहरे जांच की जद्द में आएंगे।

250 से अधिक विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति 4 बैंक खातों में कर दी ट्रांसफर
जांच रिपोर्ट के अनुसार बीते 4 साल में 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19,915 को 4 मोबाइल फोन नंबर से जुड़े बैंक खातों में छात्रवृत्ति राशि जारी कर दी गई। इसी तरह 250 से अधिक विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति 4 ही बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। 5729 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने में तो आधार नंबर का प्रयोग ही नहीं किया गया है। छात्रवृत्ति आबंटन में निजी शिक्षण संस्थानों ने सभी नियमों को ताक पर रखा। पुलिस अधीक्षक शिमला ने छात्रवृत्ति घोटाले में शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किए जाने की पुष्टि की है। 

क्या है मामला
राज्य सरकार को शिकायत मिली थी कि जनजातीय क्षेत्र लाहौल-स्पीति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्याॢथयों को छात्रवृत्ति राशि नहीं मिल रही है। ऐसे में शिकायतों का संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग ने मामले की जांच करवाने का निर्णय लिया। इस दौरान फर्जी एडमिशन से छात्रवृत्ति राशि के नाम पर घोटाले होने के तथ्य सामने आए। इसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने सी.बी.आई. से जांच करने की बात कही।

जांच दायरे में आएंगे 26 से अधिक संस्थान  
केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं में घोटाला होने के मामले की प्रारंभिक जांच में सूबे के 26 से अधिक निजी शिक्षण संस्थान शक के घेरे में आ गए हैं। सूत्रों के अनुसार कर्नाटक के विश्वविद्यालय से संबंधित संस्थानों ने सबसे ज्यादा रकम डकारी है। स्कॉलरशिप घोटाले में हिमाचल प्रदेश के निजी शिक्षण संस्थानों के नाम भी उजागर हुए हैं। इसके अलावा छात्रवृत्ति पोर्टल बनवाने वाले अफसर भी संदेह के घेरे में हैं।

सी.बी.आई. के हवाले किया जाएग केस  
राज्य सरकार ने छात्रवृत्ति घोटाले की जांच सी.बी.आई. से करवाने का निर्णय लिया है। इसके तहत हाल ही में मामला सी.बी.आई. को भेज भी दिया गया था, लेकिन केंद्रीय जांच एजैंसी ने यह कह कर केस वापस भेज दिया कि पहले राज्य सरकार अपने स्तर पर मामले को लेकर पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करवाए तथा उसके बाद ही केस सी.बी.आई. अपने हाथ में लेगी। ऐसे में अब शिक्षा विभाग ने सी.बी.आई. के दिशा-निर्देशों को फॉलो करते हुए शिमला में एफ.आई.आर. दर्ज करवा दी है। इसी कड़ी में अब मामला सी.बी.आई. को भेजा जाएगा।

गृह विभाग को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
मामला दर्ज करवाए जाने के बाद अब केस की फाइल शिक्षा विभाग नए सिरे से गृह विभाग को भेजा और उस आधार पर मामला सी.बी.आई. को सौंपा जाएगा।

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