Edited By Vijay, Updated: 27 Jul, 2018 02:50 PM
एक दिन के अंतराल के पश्चात एक बार फिर कांगड़ा में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। भूकंप के इन झटकों से किसी प्रकार की हानि की सूचना नहीं है। भूकंप का केंद्र बिंदु लगभग वही रहा जो 1 दिन पहले था....
पालमपुर: एक दिन के अंतराल के पश्चात एक बार फिर कांगड़ा में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। भूकंप के इन झटकों से किसी प्रकार की हानि की सूचना नहीं है। भूकंप का केंद्र बिंदु लगभग वही रहा जो 1 दिन पहले था। यद्यपि इस बार भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.8 मापी गई है। जानकारी अनुसार शुक्रवार को एक बजकर 42 मिनट व 31 सैकंड पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे रहा। बीते 25 जुलाई को भी कांगड़ा जनपद में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए थे। उस समय भूकंप की तीव्रता 2.9 मापी गई थी। मौसम विज्ञान विभाग शिमला के निदेशक डा. मनमोहन सिंह ने बताया कि शुक्रवार को आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.8 आंकी गई।
वर्ष 1905 में आए भूकंप से हुई थी बड़ी हानि
बता दें कि कांगड़ा जनपद भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन 5 के अंतर्गत आता है तथा जनपद का 98.6 प्रतिशत भू-भाग इसी अति संवेदनशील के अंतर्गत है। वर्ष 1905 में भूकंप की विभीषिका झेल चुके कांगड़ा जनपद में उस समय लगभग 18,000 लोगों की जान गई थी वहीं 38,000 पशु भी मौत का ग्रास बने थे। अकेले कांगड़ा नगर में मरने वाले लोगों का आंकड़ा 10,257 था। कुल 13 लाख, 51 हजार 750 रुपए की राशि सहायता के रूप में पूरे देश से एकत्रित की गई थी।
बढ़ती जनसंख्या व कंक्रीट के जंगल से बढ़ा खतरा
वर्तमान में परिस्थितियां बदल चुकी हैं जनसंख्या का आंकड़ा कहीं अधिक हो चुका है तो कंक्रीट के जंगल में बदल चुके क्षेत्र ने खतरे को और बढ़ा दिया है। यह आवश्यक नहीं कि इतिहास स्वयं को दोहराए परंतु पूर्व की घटनाओं से सीख न लेना भविष्य में कभी भी जानमाल पर भारी पड़ सकता है। बेतरतीब निर्माण तथा भूकंपरोधी तकनीक का भवन निर्माण में अभाव संकट को और बढ़ा सकता है।