हिमाचल में डेढ़ माह की अवधि में भूकंप से 6 बार कांपी देवभूमि

Edited By Vijay, Updated: 26 Jun, 2018 02:47 PM

earthquake came 6 times in period of one and a half month

डेढ़ माह की अवधि में 6 बार हिमाचल की देवभूमि भूकंप से कांप चुकी है। भूकंप का केंद्र चम्बा जनपद अधिक रहा है। 10 वर्ष की अवधि में भी चम्बा व लाहौल स्पीति में सबसे अधिक बार भूकंप के झटके आए हैं। इंडियन व यूरेशियन प्लेट के मध्य कशमकश जारी है तो प्रदेश...

पालमपुर: डेढ़ माह की अवधि में 6 बार हिमाचल की देवभूमि भूकंप से कांप चुकी है। भूकंप का केंद्र चम्बा जनपद अधिक रहा है। 10 वर्ष की अवधि में भी चम्बा व लाहौल स्पीति में सबसे अधिक बार भूकंप के झटके आए हैं। इंडियन व यूरेशियन प्लेट के मध्य कशमकश जारी है तो प्रदेश में हल्के झटकों का क्रम जारी है। विशेषज्ञों के अनुसार धौलाधार के उत्तरी तथा रावी के बाएं किनारे का क्षेत्र माइक्रो स्सिमिक एक्टिव क्षेत्र है, ऐसे में इस क्षेत्र में छोटे-छोटे भूकंप आ रहे हंै जो भूमि के नीचे एकत्रित ऊर्जा को धीरे-धीरे बाहर निकाल रहे हैं। यही ऊर्जा बड़े भूकंप का कारण बनती है। वैज्ञानिक इसे सकारात्मक पहलू मान रहे हैं। वहीं कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर, ऊना तथा सिरमौर में टैक्टॉनिक लाइन के कारण धरती में एकत्रित ऊर्जा रिलीज नहीं हो पा रही है, जिस कारण ये क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील हैं।


प्रदेश में 1,320 बार आ चुके हैं भूकंप के झटके
राज्य के चम्बा क्षेत्र में 12 मई को 3, 14 जून को 4.5, 23 जून को 3 व 26 जून को 3.3 तीव्रता के भूकंप आए तो 17 जून को शिमला क्षेत्र में 3.2 तीवता का भूकंप आया, वहीं 9 मई को अफगानीस्तान में 6.1 तीव्रता के भूकंप से भी देवभूमि कांपी थी। औसतन हर माह प्रदेश में भूकंप का एक झटका डरा रहा है। चिंता का पहलू यह है कि यह आंकड़ा छोटी अवधि का न होकर दीर्घकालिक है। 100 वर्ष की अवधि में प्रदेश में लगभग 1,320 बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। आंकड़े बताते हैं कि हिमाचल में रिक्टर पैमाने पर 3 से कम तीव्रता के लगभग 1132 झटके इस अवधि में आ चुके हैं जबकि 3 से 3.9 रिक्टर पैमाने पर आने वाले झटकों की संख्या 143 रही है। वहीं 4 से 4.9 तीव्रता के 23 झटके अब तक प्रदेश में आ चुके हैं।


5 से 5.9 तीव्रता के 43 झटके झेल चुका है प्रदेश
चिंताजनक पहलू यह है कि 5 से 5.9 तीव्रता के 43 झटके प्रदेश झेल चुका है तो 6 से 6.9 तीव्रता के 7 झटके अब तक प्रदेश में आ चुके हैं जबकि 7 से 8 तीव्रता के मध्य का एक झटका भी प्रदेश में आ चुका है। यह वही झटका था, जिसने वर्ष 1905 में 19727 लोगों को मौत का ग्रास बनाया था। हिमाचल भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन 5 के अंतर्गत आता है। इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे है। दोनों प्लेटों में गहरा तनाव चल रहा है। विशेषज्ञों के  अनुसार प्रदेश में प्रमुख 10 टैक्टॉनिक लाइन हैं, जिनमें मेन बाऊंड्री थ्रस्ट, वैकरिता थ्रस्ट, मस्त गढ़ एंटीक्लाइन, मेन फ्रंटल थ्रस्ट, ज्वालामुखी थ्रस्ट, द्रंग थ्रस्ट, सुंदरनगर फाल्ट, मेन सैंट्रल थ्रस्ट, नूर फॉल्ट तथा यमुना टियर फाल्ट शामिल है।


चम्बा और लाहौल स्पीति सबसे अधिक बार हिला
गत 10 वर्ष की अवधि में प्रदेश में 75 बार से अधिक भूकंप के झटके अनुभव हुए हैं। जिला चंबा और लाहौल स्पीति सबसे अधिक बार भूकंप से हिले हैं। 65 प्रतिशत भूकंपों का केंद्र ये दोनों जिले रहे हैं। कुल 75 बार आए भूकंप में से 60 बार केंद्र हिमाचल रहा है जबकि 15 बार पड़ोसी देशों में भूकंप का केंद्र होने के कारण झटके अनुभव किए गए। 60 बार हिमाचल में भूकंप का केंद्र रहा है जबकि 15 बार नेपाल, जम्मू-कश्मीर, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भूकंप का केंद्र रहने के चलते हिमाचल में झटके अनुभव किए गए हैं। गत 10 वर्ष की अवधि मेंं हिमाचल में आए भूकंपों में 42 प्रतिशत का केंद्र जिला चम्बा और चंबा की जम्मू-कश्मीर के साथ लगती सीमा रही है। कांगड़ा, चम्बा, लाहौल, कुल्लू और मंडी भूकंप की दृष्टि से सबसे अति संवेदनशील क्षेत्र हैं। लाहौल स्पीति और जम्मू-कश्मीर से लगती सीमा 23 प्रतिशत बार भूकंप का केंद्र रही है। कांगड़ा 8 प्रतिशत, किन्नौर 5 प्रतिशत, मंडी व शिमला 6-6 प्रतिशत और सोलन 2 प्रतिशत भी भूकंप का केंद्र रहा है।


इन 5 जिलों में हो सकती है बड़ी हानि
बी.आई.एस. भूकंपीय क्षेत्रीकरण मानचित्र के अनुसार प्रदेश के 5 जिलों कांगड़ा 98.6 प्रतिशत, मंडी 97.4 प्रतिशत, हमीरपुर 90.9 प्रतिशत, कुल्लू 53.1 प्रतिशत और चम्बा 53.2 प्रतिशत में से 53 से 98.6 प्रतिशत क्षेत्र एम.एस.के. 9 या उससे अधिक तीव्रता के अंतर्गत आते हैं जबकि इन जिलों के शेष क्षेत्रों में भूकंप की तीव्रता 8 है। 2 जिलों बिलासपुर 25.3 प्रतिशत तथा ऊना 37.0 प्रतिशत में एम.एस.के. 9 और बाकी एम.एस.के. 8 की तीव्रता है। शेष जिलों में भी तीव्रता 8 है। हिमाचल में यदि भूकंप आता है तो सबसे ज्यादा तबाही कुल्लू, मंडी, कांगड़ा, हमीरपुर व चम्बा में होगी। प्रदेश में सबसे अधिक सेवंदनशील 5 जिलें हैं तथा इन जनपदों में 53 प्रतिशत से लेकर 90 प्रतिशत हानि हो सकती है।


अब तक के बड़े भूकंप
4 अप्रैल, 1905 को हिमाचल में 7.8 तीव्रता वाला बड़ा भूकंप आ चुका है। इसके बाद भी हिमाचल में बड़े भूकंप आते रहे हैं। 28 फरवरी, 1906 को कुल्लू में 6.4 तीव्रता वाला बड़ा भूकंप आ चुका है। वर्ष 1930 में भी 6.10 तीव्रता वाला भूकंप आया था। इसके बाद वर्ष 1945 में 6 और 1975 में 6.8 तीव्रता वाला भूकंप आया था।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!