पीने लायक नहीं सोलन में पानी, बीमारियों का खतरा

Edited By Ekta, Updated: 03 Dec, 2018 03:21 PM

drinking water in solan is not worth drinking

शहर में सप्लाई किया जा रहा पानी अब पीने लायक नहीं रह गया है। इससे शहर में कभी भी जलजनित बीमारियां फैल सकती हैं। इसका कारण पानी को शुद्ध करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला ब्लीचिंग पाऊडर नगर परिषद के पास समाप्त होना है। इस कारण नलों में आने वाला पानी...

सोलन (रवीन्द्र): शहर में सप्लाई किया जा रहा पानी अब पीने लायक नहीं रह गया है। इससे शहर में कभी भी जलजनित बीमारियां फैल सकती हैं। इसका कारण पानी को शुद्ध करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला ब्लीचिंग पाऊडर नगर परिषद के पास समाप्त होना है। इस कारण नलों में आने वाला पानी पीने योग्य नहीं माना जा रहा है। जानकारी के अनुसार पिछले कई दिनों से शहर को दिए जा रहे पानी में ब्लीचिंग पाऊडर नहीं मिलाया जा रहा है। इसके कारण पानी में हेज ड्यूल क्लोरीन की मात्रा जो कम से कम .2 पी.पी.एम. होनी चाहिए, वह न के बराबर हो गई है। इससे पानी के माध्यम से कभी भी बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है। सोलन शहर की लगभग 80,000 की आबादी के लिए नगर परिषद द्वारा पेयजल आपूर्ति की जाती है। नगर परिषद के टैंकों तक पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग की है। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग गिरि पेयजल योजना और अश्विनी खड्ड पेयजल योजना के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति करता है। 

निल पाई गई क्लोरीन की मात्रा

सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर में समय-समय पर पानी के सैंपल लिए जाते हैं और इसके टैस्ट किए जाते हैं। जानकारी के अनुसार कुछ समय पहले शहर के विभिन्न हिस्सों से नलों में आने वाले पानी के सैंपल लिए गए, जिसमें क्लोरीन की मात्रा जो कम से कम .2 पी.पी.एम. होनी चाहिए, निल पाई गई। यह पानी जलजनित विभिन्न रोगों को निमंत्रण दे सकता है। विभाग के अनुसार पानी को सप्लाई करने से पहले भी इसका टैस्ट किया जाता है लेकिन यह क्लोरीन खुले पानी में उड़कर स्वत: ही कम हो जाती है। इसके लिए नप द्वारा पेयजल स्टोरेज टैंकों में ब्लीचिंग पाऊडर मिलाया जाता है। 

खुले टैंकों के कारण भी पानी में मिल रही गंदगी

शहर को पानी की आपूर्ति करने वाले मुख्य टैंक ऊपर से खुले हैं और इनमें घासफूस के साथ-साथ कीट-पतंगे, धूल व काई भी एकत्र हो रही है। टैंकों को ढकने की योजना भी अभी ठंडे बस्ते में चली गई है। 2 वर्ष पहले पीलिया जैसी बीमारी की मार सोलन शहर झेल चुका है और अब तो यह खतरा और अधिक बढ़ गया है क्योंकि नगर परिषद के पास कुछ दिनों से ब्लीचिंग पाऊडर का कोटा भी समाप्त हो चुका है। पेयजल टैंकों को ढककर सुरक्षित करने, फैंसिंग लगाने और पुरानी पाइपों को बदलने का कार्य 1 करोड़ रुपए से किया जाना था। इस कार्य के लिए टैंडर भी किए गए थे लेकिन इसके बाद आज तक यहां कार्य शुरू ही नहीं हुआ है। 

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