बैलेट पेपर से मतदान हो तो शंकाएं होगी दूर : राणा

Edited By Simpy Khanna, Updated: 05 Oct, 2019 04:32 PM

doubts will also be removed if ballot paper is voted

सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि दुनिया के सभी बड़े लोकतांत्रिक देशों में ईवीएम से मतदान को अब तिलांजलि दे दी गई है और बैलट तकनीक को ही विश्वसनीय माना जा रहा है। इसलिए हिमाचल सहित देश के विभिन्न राज्यों में होने जा रहे विधानसभा उपचुनावों...

हमीरपुर : सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि दुनिया के सभी बड़े लोकतांत्रिक देशों में ईवीएम से मतदान को अब तिलांजलि दे दी गई है और बैलट तकनीक को ही विश्वसनीय माना जा रहा है। इसलिए हिमाचल सहित देश के विभिन्न राज्यों में होने जा रहे विधानसभा उपचुनावों में प्रयोगात्मक तौर पर सरकार मत पत्रों (बैलेट पेपर) से मतदान करवाए तो जनता के मन में व्याप्त शंकाओं का भी निवारण होगा और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को इस बारे विचार-विमर्श कर निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि कम से कम हिमाचल में होने जा रहे उपचुनाव से न तो इन दो सीटों के नतीजों से सरकार गिरने वाली है और न ही दूसरी पार्टी की सरकार बनने वाली है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता दावे कर रहे हैं कि पार्टी इन दोनों सीटों को बड़े अंतर से जीतेगी। लेकिन बैलट पेपर के जरिए मतदान होने पर सरकार को अपनी लोकप्रियता का भी पता लग जाएगा और चुनाव की निष्पक्षता व विश्वसनीयता भी बनी रहेगी।

उन्होंने कहा कि भाजपा को छोड़कर देश के विभिन्न राजनीतिक दल ईवीएम को लेकर कई बार आशंकाएं जता चुके हैं । इन दिनों कि यही दलील रही है कि जिन देशों ने सबसे पहले ई.वी.एम. पद्धति को अपनाया था, वे भी इसे छोडक़र बैलेट पेपर का प्रयोग कर रहे हैं। इसलिए भारत में बैलट पेपर के जरिए मतदान करवाने में बुराई क्या है ? उन्होंने कहा ई.वी.एम. में लग रहे प्रश्न चिन्हों के कारण चुनावों की पारदर्शिता भी खत्म हो रही है तथा मतदाताओं में भी भ्रम की स्थिति बनी रहती है।

उन्होंने कहा अगर सरकार हिमाचल में बैलेट पेपर से मतदान करवाती है तो दूध का दूध व पानी का पानी भी हो जाएगा और ई.वी.एम. को लेकर चली लड़ाई भी खत्म हो जाएगी। राजेंद्र राणा ने कहा कि भारत में ई.वी.एम. का प्रयोग सबसे पहले 1982 के केरल की एक सीट पर हुए विधानसभा चुनाव में किया गया था, तब भी एक प्रत्याशी ने इस पर सवाल उठाए थे। अब ई.वी.एम. की बीमारी देश से लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है। लोकतांत्रिक प्रणाली के भरोसे के लिए सरकार को आगे आना चाहिए।

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