कुफरी में स्थापित हुआ प्रदेश का पहला डॉपलर वैदर राडार, मौसम की मिलेगी सटीक जानकारी

Edited By Vijay, Updated: 15 Jan, 2021 07:37 PM

doppler weather radar in kufri

शुक्रवार को कुफरी में प्रदेश का पहला डॉपलर वैदर राडार स्थापित किया गया। इसका शुभारंभ केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने दिल्ली से ऑनलाइन किया। अब मौसम विज्ञान केंद्र 2 हफ्ते तक इसे टैस्ट मोड पर रखेगा। 2 हफ्ते बाद इस वैदर राडार से मिलने वाले डाटा को...

शिमला (राजेश): शुक्रवार को कुफरी में प्रदेश का पहला डॉपलर वैदर राडार स्थापित किया गया। इसका शुभारंभ केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने दिल्ली से ऑनलाइन किया। अब मौसम विज्ञान केंद्र 2 हफ्ते तक इसे टैस्ट मोड पर रखेगा। 2 हफ्ते बाद इस वैदर राडार से मिलने वाले डाटा को फॉरकास्टिंग के लिए प्रयोग किया जाएगा। प्रदेश में अब बादल फटने का पूर्वानुमान लगाना आसान हो गया है। कहां बादल फटने वाला है, इसकी जानकारी मौसम विभाग को पहले से ही मिल जाया करेगी। वैदर राडार की सहायता से बादल फटने का पूर्वानुमान लगाना आसान हो जाएगा।

4 घंटे पहले मिल सकती है बादल फटने की जानकारी

बादल फटने की घटना में कम से कम 10 मिलीमीटर या उससे अधिक वर्षा होती है, जिससे प्रभावित इलाके में अचानक बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और जानमाल का काफी नुक्सान होता है। डॉपलर वैदर राडार की सहायता से इस तरह की घटनाओं के बारे में ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे पूर्व जानकारी मिल सकती है, जिससे समय रहते लोगों को सूचना देकर इसका प्रभाव कम किया जा सकता है।

क्या बोले मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक डॉ. मनमोहन शर्मा ने बताया कि डॉपलर वैदर राडार से 100 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसमी बदलाव के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यह राडार डॉपलर इफैक्ट का इस्तेमाल कर अतिसूक्ष्म तरंगों को भी कैच कर लेता है। जब अतिसूक्ष्म तरंगें किसी भी वस्तु से टकराकर लौटती हैं तो यह राडार उनकी दिशा को आसानी से पहचान लेता है। इस तरह हवा में तैर रहे अतिसूक्ष्म पानी की बूंदों को पहचानने के साथ ही उनकी दिशा का भी पता लगा लेता है। यह बूंदों के आकार और उनकी राडार से दूरी सहित उनकी रफ्तार से संबंधित जानकारी को हर मिनट अपडेट करता है। इस डाटा के आधार पर यह अनुमान लगा पाना मुश्किल नहीं होता कि किस क्षेत्र में कितनी वर्षा होगी या तूफान आएगा। इस सिस्टम का सबसे बड़ा दोष यह है कि यह किसी मौसमी बदलाव की जानकारी ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे पहले दे सकता है। बादल फटने की घटना का पूर्वानुमान लगाना बहुत मुश्किल होता है।

मंडी और डल्हौजी में भी लगेगा वैदर राडार

कुफरी के बाद मौसम विज्ञान केंद्र मंडी और डल्हौजी में भी डॉपलर वैदर राडार स्थापित करने जा रहा है। मंडी और डल्हौजी में वैदर राडार स्थापित करने के लिए भूमि का चयन कर लिया गया है, ऐसे में अब सरकार से एनओसी मिलना बाकी है। सरकार से एनओसी मिलने के बाद यहां पर वैदर राडार स्थापित कर दिया जाएगा।

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