सरकारी आवासों को तवज्जो नहीं दे रहे Doctor

Edited By Ekta, Updated: 08 Apr, 2019 01:22 PM

doctor not appearing in government residences

कहीं सरकारी आवास उपलब्ध नहीं हो रहे तो कहीं इनमें रहने को कोई तैयार नहीं। स्वास्थ्य विभाग के ऊना में बने सरकारी आवासों में कोई भी चिकित्सक रहने को तैयार नहीं है। इस वजह से यह सरकारी भवन खंडहर का रूप धारण करते जा रहे हैं। हालत यह है कि एक सरकारी आवास...

ऊना (सुरेन्द्र): कहीं सरकारी आवास उपलब्ध नहीं हो रहे तो कहीं इनमें रहने को कोई तैयार नहीं। स्वास्थ्य विभाग के ऊना में बने सरकारी आवासों में कोई भी चिकित्सक रहने को तैयार नहीं है। इस वजह से यह सरकारी भवन खंडहर का रूप धारण करते जा रहे हैं। हालत यह है कि एक सरकारी आवास 2 वर्ष तक खाली रहा और अब उस पर करीब 8 लाख रुपए से अधिक की राशि मुरम्मत पर ही खर्च आई है। धीरे-धीरे खंडहर बन रहे इन आवासों में न तो चिकित्सक और न ही संबंधित स्टाफ रुकने को राजी है। विभाग ने लाखों रुपए खर्च कर आवास तो बनाए लेकिन अब वे खाली पड़े हुए हैं।

किराए के आवासों में रह रहे चिकित्सक

क्षेत्रीय चिकित्सालय ऊना के निकट स्वास्थ्य विभाग के स्टाफ के लिए आवासीय कालोनी बनाई है। यहां चिकित्सकों के साथ-साथ स्टाफ के लिए भी क्वार्टर का निर्माण किया गया है। अधिकतर आवास खाली पड़े हैं जिनमें डॉक्टरों से लेकर दूसरे स्टाफ से भी संबंधित हैं। इनमें चिकित्सकों के न रुकने की वजह से यह आवास खंडहर बनते जा रहे हैं। कई आवासों पर ताले लटके हुए हैं। चिकित्सकों ने यहां रुकने की बजाय आसपास के क्षेत्रों में निजी तौर पर किराए पर आवास लिए हुए हैं।

क्वार्टरों में पसरी गंदगी

चिकित्सालय के निकट बने इन क्वार्टरों की हालत यह है कि इनकी खिड़कियों के शीशे टूट चुके हैं। गंदगी पसरी हुई है। कई भवनों पर पौधों का कब्जा हो चुका है। न कोई नियमित साफ-सफाई और न ही मुरम्मत का प्रावधान है। भारी-भरकम राशि खर्च कर बनाए गए इन क्वार्टर्स की मैंटीनैंस पर भी अब लाखों रुपए की आवश्यकता है। यहां बनाए गए क्वार्टर में से कुछ को ही चिकित्सकों ने लिया है। बाकी खाली पड़े हुए हैं और धीरे-धीरे टूट रहे हैं।

चिकित्सक सरकारी रैजीडैंस लेने से करते हैं इंकार

क्षेत्रीय चिकित्सालय में तैनात चिकित्सकों सहित काफी स्टाफ स्थानीय ही है। ऐसे में या तो उनके अपने आवास हैं या फिर कइयों ने किराए पर आवास ले रखे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब भी चिकित्सकों से ऑप्शन पूछी जाती है तो वह सरकारी रैजीडैंस लेने से इंकार कर देते हैं। यदि कोई चिकित्सक आवास ले तभी विभाग की तरफ से उसकी मुरम्मत करवाई जाएगी।



 

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