Edited By Ekta, Updated: 04 Sep, 2018 12:28 PM
कुछ शिक्षक संगठनों ने शिक्षक दिवस यानी 5 सितम्बर को काले दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। लगातार सरकार की ओर से उपेक्षित रवैया अपनाने से आहत शिक्षक संगठन नाराज हैं, जिसका अन्य शिक्षक संगठनों ने भी समर्थन किया है, लेकिन शिक्षक दिवस पर इस तरह...
हमीरपुर: कुछ शिक्षक संगठनों ने शिक्षक दिवस यानी 5 सितम्बर को काले दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। लगातार सरकार की ओर से उपेक्षित रवैया अपनाने से आहत शिक्षक संगठन नाराज हैं, जिसका अन्य शिक्षक संगठनों ने भी समर्थन किया है, लेकिन शिक्षक दिवस पर इस तरह का कदम उठाने के पक्षधर नहीं हैं। विभिन्न संघों के पदाधिकारियों ने शिक्षक दिवस को त्यौहार की तरह मनाने की अपील है, न कि काला दिवस के रूप में। इन संघ पदाधिकारियों का कहना है कि साल में 364 दिन हम संघर्ष कर सकते हैं तथा सरकार के विरोध में जा सकते हैं, लेकिन अपनी मांगों के लिए साल में एक बार आने वाले इस त्यौहार रूपी शिक्षक दिवस की बलि चढ़ाना तर्कसंगत नहीं रहेगा।
यह है काले दिवस को मनाने का पक्ष
कुछ शिक्षक संगठनों ने इस दिन को अपने-अपने स्कूलों में काले बिल्ले लगाकर सरकार के खिलाफ रोष प्रकट करने का मन बनाया है। उनका कहना है कि खराब परीक्षा परिणाम के कारण अध्यापकों की वेतन वृद्धि रोकी जा रही है, जोकि तर्कसंगत नहीं है। अन्य मांगों में पुरानी पैंशन को बहाल करना, 4-9-14 के टाइम स्केल को उसकी मूल भावना से लागू करना, पी.जी.टी. को प्रवक्ता पद नाम, शास्त्री व भाषा अध्यापक को टी.जी.टी. व पी.डी.पी.एफ. को प्रवक्ता पद नाम देना तथा अनुबंध पर अध्यापकों को प्रथम नियुक्ति से वरिष्ठता देना आदि 48 सूत्रीय मांगें शामिल हैं।
क्यों मनाते हैं शिक्षक दिवस
कहते हैं कि एक गुरु के बिना किसी भी लक्ष्य को भेद पाना नामुमकिन है। हर साल 5 सितम्बर को शिक्षकों के सम्मान के तौर पर भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जिसका आयोजन कर एक महान शिक्षक, राजनीतिज्ञ व दार्शनिक डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद किया जाता है। देश को शिक्षा के क्षेत्र में नई बुलंदियों पर ले जाने वाले डा. राधाकृष्णन शिक्षक होने के साथ देश के पहले उपराष्ट्रपति व दूसरे राष्ट्रपति भी थे। उनका जन्म 5 सितम्बर को तमिलनाडु के तिरूतनी गांव में हुआ था। देशभर में इस दिन को शिक्षक एक त्यौहार के रूप में मनाते हैं।