Edited By Ekta, Updated: 21 Jan, 2019 01:48 PM
कामयाबी नाम है जुनून का। एक ऐसे जज्बे का जिसे किसी बैसाखी की जरूरत नहीं होती है। यही बात साबित की है कुल्लू के युवक एस.के. सिंघानिया ने। जो शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी अपने आप को समाज की मुख्यधारा के बीच ढाल रहा है। सिंघानिया दिव्यांग होने...
कुल्लू (मनमिंदर): कामयाबी नाम है जुनून का। एक ऐसे जज्बे का जिसे किसी बैसाखी की जरूरत नहीं होती है। यही बात साबित की है कुल्लू के युवक एस.के. सिंघानिया ने। जो शारीरिक रूप से अक्षम होने के बाद भी अपने आप को समाज की मुख्यधारा के बीच ढाल रहा है। सिंघानिया दिव्यांग होने के बाद भी डांस, अभिनय में अपनी प्रतिभा का जलवा दिखा रहा है। बता दें कि रविवार को कुल्लू में आयोजित डांस की पाठशाला कार्यक्रम में जब उसने अपनी प्रतिभा का सटीक अभिनय का प्रदर्शन किया तो देव सदन में बैठे सैकड़ों लोग हैरत में पड़ गए। उनकी हैरानी उस दौरान बढ़ गई जब उन्हें पता लगा कि सिंघानिया की एक टांग तो नकली है।
अपनी नकली टॉप के सहारे इतना जबरदस्त अभिनय और डांस प्रस्तुत करना लोगों को हैरत में डाल गया। वहीं उसकी प्रस्तुति देख लोग भाव विभोर हो उठे। नाटक के माध्यम से दिव्यांग युवक ने बचपन से लेकर जवानी तक अपने साथ घटी घटनाओं को मार्मिक रूप से प्रस्तुत किया। सिंघानिया ने बताया कि जब वह 2 साल का था तो एक दुर्घटना में उसकी टांग कट गई। तब उसे यह मालूम नहीं था कि एक टांग ना होने के कारण उसे समाज में किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। लेकिन जब स्कूल जाने लगा तो वहां भी उसके साथी उसको तंग करते थे। कभी वो उसकी बैसाखी को लेकर भाग जाते। उसने बताया कि यह सब देख उसे बहुत दुख होता था। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और उसके बाद भी समाज की परवाह किए बिना ऊपर उठकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया।
इस काम में उसे अपने माता-पिता का काफी सहयोग मिला और जब वह युवा हुआ तो उसके पिता ने उसे एक नकली टांग लाकर दी। जिसके सहारे वह आज चलने फिरने में सक्षम हुआ है। सिंघानिया ने बताया कि वह आज बड़े-बड़े मंचों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुका है। लेकिन उसे मलाल है कि उसे अपनी ही जिला मंडी में ही मंच प्रदान नहीं किया जाता है। उन्होंने प्रदेश सरकार से भी आग्रह करते हुए कहा कि वह एक गरीब परिवार से संबंध रखता है और सरकार भी समाज में दिव्यांगों के कल्याण के लिए कई बड़ी-बड़ी बातें करती है। ऐसे में उसे अपने ही गृह जिला में मंच ना मिलना उसके लिए बड़े दुख की बात है।