पार्टियों से बाहर निकाले जाने पर विधायकों के बिगड़े तेवर, जनता से इंसाफ के लिए मैदान में डटे

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Nov, 2017 03:07 PM

disrupted mla when expelled from parties

टिकट कटने से भाजपा और कांग्रेस के सिटिंग विधायकों ने दरियादिली दिखाई और पार्टी के साथ ही चल दिए, वहीं कहीं ऐसी चिंगारी फूटी जो अभी तक लावा बनी हुई है। भले ही पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया हो लेकिन उनके तेवर अभी तक तीखे हैं। उनका कहना है...

शिमला: टिकट कटने से भाजपा और कांग्रेस के सिटिंग विधायकों ने दरियादिली दिखाई और पार्टी के साथ ही चल दिए, वहीं कहीं ऐसी चिंगारी फूटी जो अभी तक लावा बनी हुई है। भले ही पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया हो लेकिन उनके तेवर अभी तक तीखे हैं। उनका कहना है कि वे जनता से इंसाफ के लिए ही मैदान में डटे हैं। पालमपुर से प्रवीण शर्मा, नालागढ़ से हरदीप बावा और शिमला शहरी से हरीश जनारथा कहते हैं कि अंतिम समय में ऐसा कौन सा फैक्टर आ गया कि उनकी टिकट काटनी पड़ी। दूसरी तरफ भाजपा से सिटिंग विधायक गोविंद शर्मा, बी.के. चौहान, रिखी राम कौंडल और अनिल धीमान ने पार्टी के साथ चलने में ही भलाई दिखाई। भाजपा की पूर्व विधायक रेणु चड्डा कहती हैं कि टिकट कटने का अफसोस लेकिन पार्टी का निर्णय सहर्ष स्वीकार है। नूरपुर से रणवीर निक्का भी भाजपा के साथ मिलकर रहते हुए कह चुके हैं कि मैं नाम से ही निक्का हूं पर दिल बड़ा है। कांग्रेस में नीरज भारती के पिता चंद्र कुमार को टिकट से बात इतनी नहीं बिगड़ी। 8 बार विधायक रह चुकी विद्या स्टोक्स का नामांकन रद्द होना हालांकि सुर्खियों में रहा लेकिन वह कहती हैं चुनाव लडऩे का अफसोस नहीं लेकिन यंग मैन (दीपक) ने जल्दबाजी दिखाई। लाहौल-स्पीति, दरंग, ज्वालामुखी, रामपुर बुशहर और रेणुका जी में दोनों दलों में फूटी चिंगारी क्या गुल खिलाती हैं यह तो अब आना वाला वक्त बताएगा। 


मेरी समझ से परे कि अंतिम समय में महिला फैक्टर कहां से आ गया: प्रवीण
पालमपुर से आजाद प्रत्याशी प्रवीण शर्मा ने कहा कि मुझे इस चीज की सबसे ज्यादा हैरानी है कि हिमाचल प्रदेश कोर कमेटी की 30 बैठकों में मेरा नाम आगे रहा इसके बाद संसदीय समिति की बैठक में मेरा नाम फाइनल हो गया। यह मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि कौन सा महिला फैक्टर सामने आ गया और अंतिम समय में मेरी टिकट काट दी गई। मैं पार्टी हाईकमान से यह पूछना चाहता हूं कि क्या पालमपुर में कोई स्थानीय महिला नहीं थी जो कि पैराशूटी उम्मीदवार लाना पड़ा। उन्होंने कहा कि मेरी टिकट कटने के बाद मैंने आजाद तौर पर चुनावों में ताल ठोक दी है और जनता के आशीर्वाद से जीत मेरी पक्की है। प्रवीण शर्मा ने कहा कि पार्लियामैंट बोर्ड द्वारा गलत निर्णय लेने पर जनता सबक सिखाएगी। हिमाचल के सबसे अमीर घराने से कांग्रेस के प्रत्याशी व बाहरी प्रत्याशी से टक्कर क्या दिखाती है यह भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल मैंने गलत निर्णय के खिलाफ  जनता में अलख जगाई है। हमारा प्रमुख मुद्दा परिवारवाद, बाहरीवाद व अन्य कुरीतियों से पालमपुर को बचाना है।


वीरभद्र सिंह के विरोधियों ने टिकट काटने के लिए रचा षड्यंत्र: हरदीप बावा 
नालागढ़ निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी हरदीप बावा का कहना है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के विरोधियों के षड्यंत्र के कारण उनका टिकट कटा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने नालागढ़ में टिकट को लेकर तय किए गए पैमाने को ही नजरअंदाज कर दिया। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आशीर्वाद से उन्होंने नालागढ़ में आर.टी.ओ. कार्यालय खोला, पंजहैरा में उपतहसील बनाई व रामशहर में तहसील के साथ-साथ कालेज खोलने के अलावा नालागढ़ में कई स्कूल खोले व अपग्रेड किए गए। पिछले 5 वर्षों में इस हलके में करोड़ों रुपए के विकास कार्य किए गए। वह पूरे 5 वर्ष जनता के बीच में ही रहे और कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए काम किया। पार्टी ने उन्हें इसका ईनाम टिकट काट कर दिया। बावा का कहना है कि वह मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खासमखास रहे हैं। उनके विरोधियों को यह रास नहीं आ रहा था। उन्हें चुनाव से दूर करने के लिए वीरभद्र सिंह के विरोधियों ने उनका टिकट काटने का षड्यंत्र रचा, जिसमें उन्हें कामयाबी भी मिल गई। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में नालागढ़ हलके में विकास उन्होंने किया है।


कांग्रेस ने मेरा टिकट क्यों काटा हाईकमान जाने: जनार्था 
कांग्रेस के खिलाफ बगावत कर शिमला विधानसभा क्षेत्र से बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हरीश जनार्था अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस ने उनका टिकट क्यों काटा, हाईकमान जाने। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट उनके पक्ष में थी। इसके बावजूद जब उनका टिकट काटा गया, जिससे उनको बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरना पड़ा। उन्होंने 5 साल शिमला शहर की जनता के सरकार से काम करवाए। जनता भी उनके कार्य से संतुष्ट थी। ऐसे में चुनाव जीतने पर उसे समर्थन दिया जाएगा, जहां पर शिमला शहर की भलाई होगी। इसी तरह जो लोग उनके साथ खड़े हैं, उनसे बात करने के बाद निर्णय लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े थे और 628 वोटों के अंतर से हार गए थे। हारने के बावजूद उनको पर्यटन विकास निगम का उपाध्यक्ष बनाया गया। जनार्था ने इससे पहले भी कांग्रेस के खिलाफ बगावत की थी, लेकिन इसके बावजूद वे शिमला नगर निगम के उपमहापौर बन गए थे। अब एक बार फिर से उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ बगावत की है। बावजूद इसके वे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थकों में से एक गिने जाते हैं। 


इस उम्र में टिकट नहीं तो मेरी सेवाओं का क्या फायदा: पूर्ण
मंडी के दरंग विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में कूदे पूर्ण चंद ठाकुर का कहना है कि जिला परिषद के चुनाव के दौरान मुझे हराने के लिए हमारे ही वरिष्ठ नेता कौल सिंह ठाकुर ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। इसके बावजूद द्रंग की जनता ने बड़ीधार वार्ड से जिताकर भेजा और मैं जिला परिषद का उपाध्यक्ष बना। पूर्ण ने कहा कि जब मैंने पार्टी टिकट के लिए आवेदन किया तो कौल सिंह ठाकुर ने ही सबसे पहले मेरे आवेदन का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मैं 2 बार कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष और 2 बार जिला  परिषद का सदस्य चुनकर आया हूं। पूर्ण कहते हैं कि इस उम्र में अगर पार्टी मुझे टिकट न देती तो पार्टी में मेरी सेवाओं का क्या फायदा। अगर मैं चुनाव जीत जाता हूं तो द्रंग क्षेत्र की जनता जिस पार्टी को समर्थन देने का निर्णय लेगी, मैं उसी पार्टी को सर्मथन दंूगा। बताते चलें कि पूर्ण ठाकुर जिला मंडी कांग्रेस कमेटी के 2 बार अध्यक्ष रहे हैं तथा वर्तमान में जिला परिषद के उपाध्यक्ष हैं। इनको वीरभद्र सिंह के खास समर्थकों में गिना जाता है। इनको गिला है कि कौल सिंह ने पिछली बार कहा था कि उनका आखिरी चुनाव है, जबकि इस बार फिर उन्होंने चुनाव लड़ा और कहा कि यह उनका आखिरी चुनाव है।


टिकट कटने  का अफसोस है लेकिन मैंने सहर्ष स्वीकार किया: रेणु
पार्टी ने जो भी निर्णय लिया उसे न सिर्फ मैंने बल्कि पार्टी के कार्यकत्र्ताओं व मेरे समर्थकों ने सहर्ष स्वीकारा। यह बात डल्हौजी की पूर्व विधायक रेणु चड्ढा ने कही। उन्होंने कहा कि टिकट कटने पर अफसोस तो हुआ लेकिन भाजपा के मिशन 50 को हासिल करने की बात को ध्यान में रखते हुए मैंने दूसरे दिन ही खुद को पार्टी के लिए पूरी तरह से समॢपत कर दिया। उन्होंने कहा कि यह बात ओर है कि पार्टी के प्रत्येक कार्यकत्र्ता को चुनावी टिकट पाने का अधिकार है और इस अधिकार के तहत मैंने पार्टी से टिकट मांगा था लेकिन किसे टिकट देना है और किसे नहीं यह पार्टी निर्धारित करती है। पार्टी ने जिन भी परिस्थितियों को मद्दनेजर रखते हुए डल्हौजी का टिकट आबंटन किया है वह निश्चित तौर पर पार्टी के हित में होगा। 


बुटेल परिवार के कारण टिकट कटा, तभी आजाद लड़ा: बैनी
निर्दलीय प्रत्याशी बैनी प्रसाद का कहना है कि पालमपुर की जनता क्यों किसी एक परिवार के पीछे चले। उन्होंने कहा कि पालमपुर विधानसभा क्षेत्र में 26000 गद्दी समुदाय के वोट, 14040 चौधरी जाति के, 8915 एस.सी., ब्राह्मणों के 4200 और राजपूतों के 7600 वोट हैं, परंतु एक ही परिवार 50 वर्षों से राज कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में भी मैंने अपनी टिकट की दावेदारी जताई थी, परंतु बुटेल ने मुझे यह कह कर बैठा दिया था कि 2017 में आपको टिकट दी जाएगी। यही कारण था कि मुझे बतौर आजाद उम्मीदवार उतरना पड़ा। बैनी ने कहा कि दूसरों के लिए कांग्रेस पार्टी की तरफ  से टिकट नहीं मिलता है। वोटिंग के बाद उन्होंने कहा कि मैं अपनी जीत के लिए पूरी तरह से आश्वस्त हूं और मैं जीतूंगा। यदि आप जीते हैं तो किसको समर्थन करेंगे? बैनी कहते हैं कि इसका फैसला पालमपुर की जनता करेगी।  

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