क्यूरेटेक फार्मा ग्रुप के निदेशक ने बढ़ते कोरोना वायरस पर जताई चिंता, महामारी से बचने की दी जानकारी

Edited By Vijay, Updated: 21 Feb, 2020 05:18 PM

director of curatech pharma group expressed concern over corona virus

चीन में कोरोना वायरस के कारण हुई त्रासदी से आभास होता है कि हम आज भी आजाद नहीं हैं। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि भारत सोने की चिडिय़ा है। काफी समय तक भारत मुगलों और अंग्रेजों के कारण गुलाम रहा। हमें आजादी तो मिली परंतु सरकारी तंत्र में फैले...

बद्दी (ब्यूरो): चीन में कोरोना वायरस के कारण हुई त्रासदी से आभास होता है कि हम आज भी आजाद नहीं हैं। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि भारत सोने की चिडिय़ा है। काफी समय तक भारत मुगलों और अंग्रेजों के कारण गुलाम रहा। हमें आजादी तो मिली परंतु सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार ने विकास की राह रोक दी। इस बात का आभास आज चीन में कोरोना वायरस के कारण हुई त्रासदी  से पता चलता है कि हम आज भी गुलाम हैं। उदाहरण चरितार्थ करता है कि हिंदुस्तान में बढिय़ा वातावरण, बेहतर ढांचा, कृषि पर्यटन तथा क्षेत्र में आगे हैं परंतु नकारात्मक विचारों के कारण समाज सोया हुआ है। यह बात क्यूरेटेक फार्मा ग्रुप के निदेशक सुमित सिंगला ने कही है।

उन्होंने कहा कि दुख होता है कि एक और तो हम व्यापार के साथ शीघ्र मुनाफा चाहते हैं परंतु वह नकारात्मक मानसिकता के कारण संभव नहीं है। देखने में यह भी आता है कि भारतीय युवा शीघ्र मेहनत का परिणाम चाहता है जो संभव नहीं है। चीन में कोरोना वायरस के कारण जो हाल हुआ है वह किसी से छुपा नहीं है। विश्व के इतिहस में पहली बार ऐसा हुआ है कि मात्र 15 दिन में इस बीमारी ने शरीर को पंगु बना दिया है। चीन में प्रभावित व्यक्ति को गोली से उड़ाया जा रहा है। भारी संख्या में पुनर्जन्म में हुईं कृतियों के कारण उनकी हत्या हुई होगी। चीन निवासी करीब 150 जीव-जंतुओं को अपने खानपान में प्रयोग में लाते थे तथा पूर्व से मांसाहारी थे, जिसके परिणामस्वरूप वहां त्रासदी आ ही गई है।

यदि विश्व में एक दिन उद्योग व सरकारी कार्यालय बंद हो जाएं तो अर्थव्यवस्था हिल जाती है तथा चीन में तो अर्थव्यवस्था प्रभावित हुए काफी दिन हो गए हैं। करीब 95 फीसदी खिलौने, इलैक्ट्रॉनिक सामान, ऑटो पाट्र्स, मोबाइल, कच्चा माल, डिस्पोजेबल वस्तुएं सब वहां से आती हैं, जिस कारण अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। महंगाई अढ़ाई गुना दाम तक पहुंच गई है, जिसके परिणामस्वरूप 96 प्रतिशत फार्मा उद्योग बंद होने की कगार पर हैं। यदि ऐसा ही रहा तो भविष्य में इन उद्योगों के कम होने से प्रलयकारी परिस्थितियों के समय दवाइयां भी कम पड़ जाएंगी।

हैरत इस बात की है कि सरकार ने प्लास्टिक पॉलीबैग पर प्रतिबंध लगाया हुआ है परंतु ये आइटम अभी भी चीन से आ रही है। उदाहरण के तौर पर डिस्पोजेबल प्लेट्स व कप इस आकार में आ रहे हैं कि यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह प्लास्टिक है या प्लास्टिक रहित सामग्री। भारत इस दृष्टि से कहां खड़ा है इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। मौजूदा समय में पूरा प्रभाव दिख रहा है चीन के वुहान शहर में करोड़ों लोग अभी भी घरों में ही जेल जैसा जीवन गुजार रहे हैं जो उनके द्वारा किए दुष्कर्म का परिणाम है।

विश्व की सरकारों व समस्त समाज को ऐसा संयुक्त अभियान चलाना चाहिए, जिससे लोगों को शाकाहारी प्रवृत्ति बारे प्रेरित करने हेतु जीव-जंतु, वनस्पति व प्रकृति से खिलवाड़ न कर सही जीवन जीने की राह दिखाई जाए ताकि चीन जैसा हाल न हो तभी भारत सोने की चिडिय़ा की कहावत को चरितार्थ कर पाएगा। सरकारों को चाहिए कि चीन की इस घटना से सबक लें व भविष्य में विदेशी माल को उसकी गुणवत्ता सहित उपलब्ध कराएं। यहां के अर्थशास्त्रियों को ऐसा ढांचा पैदा करना चाहिए कि कोई भी ऐसा उत्पाद नहीं बनेगा जो स्वरोजगार की राह से न आया हो व गुणवत्ता युक्त न हो।

चीन का कोरोना वायरस पूरे विश्व के लिए संदेश लाया है कि सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था को इसने हिला कर रख दिया है। सरकारों को चाहिए कि प्रत्येक वस्तु प्रयोग मे होने वाली भारत में पैदा हो। अर्थशास्त्रियों को चाहिए कि वे बेहतर गुणवत्ता कम मुनाफे की तरफ जाकर कुछ समय हेतु किसी समस्या में आए देश के साथ ऐसा व्यवहार न करें  क्योंकि आज भारत में 50 पैसे में बिकने वाला मास्क चीन को करीब 25 रुपए में भेज रहा है जो सही नहीं है। याद आता है कि भारतवासी विश्वगुरू न बनकर बल्कि रातोंरात अरबपति बनने के सपने में डूबे हुए हैं। उन्हें आभास नहीं की कम समय की कमाई उनके जीवन उपयोग हेतु पूर्ण नहीं है बल्कि यह केवल क्षणिक सुख के लिए है।

देखने में आता है कि सरकार चीन जैसा आविष्कार कर स्वदेशी का राग अलाप कर दिखावा कर रही है परंतु चीन में कोरोना वायरस की त्रासदी से आभास होता है कि हम किस कगार पर खड़े हैं व मंदी से जूझ रहे हैं। दैनिक जीवन के साथ जुड़ी 90 फीसदी वस्तुओं के लिए हम केवल चीन पर निर्भर हैं यहां तक कि मानव के जीवन के मुख्य अंग हेतु सर्जिकल सामान चीन से ही आता है तो भारत इस बात को समझ सकता है कि इस दिशा में कहां खड़ा है। यह चिंता का विषय है।

सरकार को चाहिए कि अभी हम अपने भविष्य की पीढ़ी को स्थापित करने हेतु कुछ नया करें । सरकारों का उद्देश्य होना चाहिए कि दूषित व गंदी राजनीति को छोड़ देशहित की पवित्र आत्माओं शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, सुभाष चंद्र बोस को याद कर सही दिशा में कदम बढ़ाएं। शहीदों का बलिदान तभी सफल होगा जब हम भ्रष्टाचार छोड़ देश में अर्थव्यवस्था मजबूत कर स्वरोजगार के द्वार खोल स्वदेशी समान बनाकर इसका निर्यात करें तभी विश्व में भारत का डंका बजेगा व विश्व गुरु का सपना साकार होगा।    

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