धूमल बोले-यू.पी.ए. सरकार की शिक्षा नीति से फेल हुई शिक्षा प्रणाली

Edited By Vijay, Updated: 20 Jun, 2018 07:30 PM

dhumal said education fail from education policy of upa government

यू.पी.ए. सरकार की शिक्षा नीति से छात्र तो फेल नहीं हुए लेकिन सारी की सारी शिक्षा प्रणाली ही फेल हो गई। यह बात बुधवार को हमीरपुर के मंडप स्थित त्रिशा बी.एड. कॉलेज के वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह में बतौर मुख्यातिथि पधारे पूर्व मुख्यमंत्री प्रो....

हमीरपुर: यू.पी.ए. सरकार की शिक्षा नीति से छात्र तो फेल नहीं हुए लेकिन सारी की सारी शिक्षा प्रणाली ही फेल हो गई। यह बात बुधवार को हमीरपुर के मंडप स्थित त्रिशा बी.एड. कॉलेज के वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह में बतौर मुख्यातिथि पधारे पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने कही। उन्होंने यू.पी.ए. सरकार की शिक्षा नीति को कोसते हुए कहा कि यू.पी.ए. सरकार ने शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाते हुए नई शिक्षा नीति बनाई कि विद्यार्थी कक्षा में फेल हुए बगैर अगली कक्षा में पहुंच जाएंगे, ऐसे में जब छात्र दसवीं कक्षा में पहुंच कर परीक्षा देने पहुंचे तो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए, जिसके चलते शिक्षा प्रणाली ही फेल हो गई। उन्होंने कहा कि जब उन्हें इस शिक्षा प्रणाली से सम्बन्धित बैठक में बुलाया गया था तब उन्होंने वहां भी पुरजोर विरोध किया था कि जो प्रणाली अमरीका में फेल हो गई उसे भारत में लागू नहीं किया जाना चाहिए।


हम पर राज करने वाले आर्य ही भारतीय थे
उन्होंने कहा कि किसी भी देश का भविष्य उस देश के शिक्षकों व शिक्षण प्रणाली पर निर्भर करता है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि अंग्रेजों की हुकुमत के समय से हमें जो इतिहास पढ़ाया गया वह विकृत था। लार्ड मिकोय ने कहा था कि भारत की संस्कृति बहुत सुदृढ़ है, जिससे इस देश को तोड़ पाना मुश्किल है। यहां के गुरुकुलों में ही देशभक्ति सिखाई जाती है। हमारे इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई। आजादी के कई वर्षों बाद तक भी हमें यह पढ़ाया जाता है कि पहले आर्यों ने, फिर मुगलों ने तथा अंतत: अंग्रेजों ने हम पर राज किया। हमें ऐसी शिक्षा दी गई, जिससे हमारे अंदर हीनभावना पनपे जबकि विज्ञानिक तौर भी डी.एन.ए. टैस्ट से साबित हो चुका है कि भारतीय ही आर्य थे।


शिक्षक का जीवन बहुत ही प्रभावशाली
उन्होंने कहा कि शिक्षक का जीवन बहुत ही प्रभावशाली होता है। वह आने वाली पीढ़ी को दिशा व ज्ञान देता है। वास्तव में शिक्षा निष्काम सेवा करने का उत्तम माध्यम है। जब शिक्षित किए हुए छात्र जीवन में ऊंचाइयां छूते हैं तो शिक्षक को जो आत्मीय आनन्द की अनुभूति होती है वह निष्काम और इष्र्या रहित होती है। जीवन में 2 ही ऐसे रिश्ते होते हैं जहां इष्र्या का कोई काम नहीं होते। मां-बाप और शिक्षक ही अपने बच्चों को ऊपर बढ़ता देख खुश होते हैं। शिक्षण का क्षेत्र सबसे नोबल प्रोफैशन होता है।


नवीन प्रणाली से प्रशिक्षित हों शिक्षक
उन्होंने शिक्षकों को नवीन प्रणाली से भलीभांति प्रशिक्षित होने पर बल देते हुए कहा कि व्यवस्थाएं नित बदलती रहती हैं, आज कोई भले ही कितना विद्वान क्यों न हो अगर उसे कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं है तो वह व्यर्थ है। आज का दौर प्रतिस्पर्धा का दौर है जहां विद्यार्थी परीक्षाओं में शत-प्रतिशत अंक हासिल कर रहे हैं। ऐसे विद्यार्थियों को पढ़ाने जाते हुए शिक्षकों में आत्मविश्वास होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि पुराने समय में छात्र अगर 60  प्रतिशत अंक परीक्षा में ले लेता था तो कहते थे की काफी हैं लेकिन अब समय ऐसा नहीं है। आज के विद्यार्थी शत-प्रतिशत अंक लेते हैं। ऐसे विद्यार्थियों को पढ़ाने जाते समय शिक्षक को खुद भी उनके स्तर पर तैयारी करनी चाहिए। शिक्षकों में आत्मविशवास होना जरूरी है।


ये रहे कार्यक्रम में मौजूद
इस अवसर पर भाजपा के प्रदेश सह मीडिया प्रभारी नरेंद्र अत्री, एन.के. शर्मा व राजीव शर्मा इत्यादि सहित कॉलेज के विद्यार्थी उपस्थित रहे। पूर्व मुख्यमंत्री ने इस दौरान होनहार विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया।

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