Edited By Ekta, Updated: 19 Jun, 2018 02:51 PM
नागालैंड के कोहिमा में तैनात डीजीपी रुपिन शर्मा की ईमानदारी छवि वहां की सरकार को बर्दाश्त नहीं हो रही है। एक ओर जहां सरकार उनका ट्रांसफर करवाना चाहती है, वहीं उनके समर्थन में नागालैंड की जनता सड़कों पर उतर आई है। जनता रुपिन को पद पर बरकरार रखना...
धर्मशाला (जिनेश): नागालैंड के कोहिमा में तैनात डीजीपी रुपिन शर्मा की ईमानदारी छवि वहां की सरकार को बर्दाश्त नहीं हो रही है। एक ओर जहां सरकार उनका ट्रांसफर करवाना चाहती है, वहीं उनके समर्थन में नागालैंड की जनता सड़कों पर उतर आई है। जनता रुपिन को पद पर बरकरार रखना चाहती है। वह मूलरूप से हिमाचल के धर्मशाला के रहने वाले हैं। नागालैंड सरकार का कहना है कि शर्मा के पास अपने पद के अनुसार अनुभव नहीं है। लेकिन विपक्ष ने आरोप लगाया कि उन्हें हटा दिया जा रहा है क्योंकि उन्होंने ‘पिछले दरवाजे’ से नियुक्तियां करने से इनकार कर दिया था।
खोखली दलील पर टिका सरकार का विरोध
सरकार की दलील थी कि डीजीपी बनने के लिए कम से कम 28 साल का अनुभव होना चाहिए, लेकिन रुपिन शर्मा के पास केवल 26 साल का है। सरकार ने इस बारे में गृह मंत्रालय को भी पत्र लिखा था। लेकिन सरकार के इस फैसले का हर तरफ विरोध किया जा रहा है। नागालैंड पुलिस हेडक्वार्टर से लेकर राज्य के सभी जिलों में उन्हें लोगों का समर्थन मिल रहा है।
धर्मशाला के रहने वाले हैं डीजीपी रुपिन शर्मा
50 साल के आईपीएस अधिकारी रुपिन शर्मा 24 नवंबर 2017 को नागालैंड के डीजीपी नियुक्त हुए हैं। 1992 बैच के आईपीएस रुपिन शर्मा मूलरूप से धर्मशाला के रहने वाले हैं। वह (50) सबसे कम उम्र में डीजीपी बने थे। वह सिविल लाइंस में रहते हैं। उनके पिता केसी शर्मा भी रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं। बता दें कि डीजीपी बनने के बाद रुपिन शर्मा ने नागालैंड पुलिस फोर्स में कई काम किए हैं, जिससे राज्य सरकार नाराज है। उन्होंने पुलिस फोर्स के कर्मचारियों के टीए, डीए दिलवाने का कदम उठाया। केंद्र से जो फंड मिलता था उसे पहले ही अन्य कार्यों में खर्च किया जाता था।