Edited By Vijay, Updated: 05 Jun, 2022 12:40 AM
धर्मपुर उपमंडल के झंगी गांव की पूनम शर्मा ने अमेरिका में अपनी कामयाबी का लोहा मनवाते हुए धूम मचाई है। पूनम शर्मा को वनस्पति विज्ञान में बतौर वैज्ञानिक शोध के लिए ओएसयू संस्थान को पौधों के रोगों के परीक्षण को कारगर बनाने के लिए एक अरब डॉलर का अनुदान...
धर्मपुर (ब्यूरो): धर्मपुर उपमंडल के झंगी गांव की पूनम शर्मा ने अमेरिका में अपनी कामयाबी का लोहा मनवाते हुए धूम मचाई है। पूनम शर्मा को वनस्पति विज्ञान में बतौर वैज्ञानिक शोध के लिए ओएसयू संस्थान को पौधों के रोगों के परीक्षण को कारगर बनाने के लिए एक अरब डॉलर का अनुदान प्राप्त हुआ। यूएसए में स्थित ओक्लाहोमा स्टेट यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ बायोसिक्योरिटी एंड माइक्रोबियल फोरैंसिक के वैज्ञानिक एक राष्ट्रीय परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं जो पौधों के रोग जनकों के लिए अधिक कुशल नैदानिक प्रथाओं को बनाने की दिशा में तैयार है। एक अरब डॉलर की परियोजना यूएसडीए के राष्ट्रीय खाद्य और कृषि संस्थान द्वारा वित्त पोषित है। इसका उद्देश्य अमेरिकी उत्पादन प्रणालियों की रक्षा करना, सुरक्षित और लाभकारी व्यापार सुनिश्चित करना और खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करना है। आईबीएमएफ के निदेशक और प्लांट पैथोलॉजी के प्रोफैसर किट्टी कार्डवेल ने कहा कि देश भर में प्लांट पैथोलॉजिस्ट पहले से ही विभिन्न प्लांट रोग जनकों के लिए नैदानिक उपकरण विकसित कर रहे हैं। डायग्नोस्टिक एवं वैलिडेशन नैटवर्क पौधों के रोग जनकों के लिए विकसित शोधकर्ताओं, रोग जनक आनुवंशिक डेटा और नैदानिक उपकरणों के बारे में जानकारी रखेगा। यह जानकारी इस तरह से सूचीबद्ध और वर्गीकृत करेगा, जिससे प्लांट पैथोलॉजिस्ट जानकारी को जल्द और कुशलता से ढूंढ सकें।
डीएवीएन पर काम कर रही आणविक जीव विज्ञान में एक शोधकर्ता और सहायक प्रोफैसर पूनम शर्मा ने कहा कि पौधे के रोग जनक के लिए गलत निदान मिलने या पौधे के रोग जनक के लिए परीक्षण नहीं होने से कृषि व्यवसाय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यूएसए की कृषि जैव सुरक्षा विश्वसनीय नैदानिक परीक्षण पर निर्भर करती है। यदि आपके पास एक मान्य परीक्षण नहीं है तो रोग को नियंत्रित करने के लिए सटीक निदान करना मुश्किल है और यह खाद्य सुरक्षा के लिए जोखिम बन जाता है। शर्मा ने कहा कि डीएवीएन यूएसए में पौधों के रोगों का निदान और सत्यापन अनुसंधान का समन्वय, मानकीकरण और सामंजस्य स्थापित करेगा।
पुणे विश्वविद्यालय से एमएससी व फ्रांश से डॉक्टरेट (पीएचडी) करने के बाद पूनम अमरीका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में बतौर वैज्ञानिक कार्य करने लगी है जहां उसे इस बड़े प्रोजैक्ट में कार्य करने का अवसर मिला है। इसकी सूचना मिलने पर पूनम के पैतृक गांव झंगी व मामा के गांव सरी में खुशियां मनाई जा रही हैं। पूनम के पिता पी. शर्मा सेवानिवृत्त कर्नल हैं और माता शीला शर्मा गृहिणी हैं। पूनम के परनाना मोलक राज शर्मा अंग्रेजी हुकूमत के वक्त में तहसीलदार के पद पर रहे हैं उनके नाना भी खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर रहे हैं। पूनम की शादी सुशीम शर्मा के साथ हुई है।
हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here