Edited By Vijay, Updated: 13 Feb, 2020 08:35 PM
नशे की रोकथाम को लेकर अब पुलिस वार्ड स्तर पर नशा निवारण कमेटियों का गठन करेगी। नशे के शिकार व्यक्ति ही ड्रग पैडलर बन रहे हैं, ऐसे में पुलिस ऐसे लोगों का नशा छुड़ाने के लिए भी प्रयास करेगी। यह बात वीरवार को धर्मशाला में पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश...
धर्मशाला (नितिन): नशे की रोकथाम को लेकर अब पुलिस वार्ड स्तर पर नशा निवारण कमेटियों का गठन करेगी। नशे के शिकार व्यक्ति ही ड्रग पैडलर बन रहे हैं, ऐसे में पुलिस ऐसे लोगों का नशा छुड़ाने के लिए भी प्रयास करेगी। यह बात वीरवार को धर्मशाला में पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश पुलिस महानिदेशक एसआर मरड़ी ने कही। उन्होंने कहा कि नशे के शिकार जो ड्रग पैडलर बनते हैं, उन्हें नशे से निजात दिलाना आवश्यक है। नशे की तस्करी में गिरफ्तार होने तथा जेल से छूटने के बाद वह दोबारा इस धंधे में जुट जाते हैं, जिसके चलते इनको नशे की लत से निजात दिलाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पहले पुलिस थानों में नशा निवारण समितियां बनी थीं, उसके बाद पंचायत स्तर पर इनका गठन किया, अब वार्ड स्तर पर ऐसी समितियां गठित की जाएंगी।
ब्लैक स्पॉट के सुधार के लिए पीडब्ल्यूडी को सुझाव भेजें एसएचओ
इसके अलावा उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग के अधिकारी भी जहां दुर्घटनाएं होती हैं, ऐसे ब्लैक स्पॉट को चिन्हित करके लोक निर्माण विभाग को उनमें सुधार के सुझाव भेज सकते हैं। इसमें एसएचओ भी अपने स्तर पर उन्हें कोई ब्लैक स्पॉट नजर आता है तो लोक निर्माण विभाग को सुधार हेतु पत्र लिख सकते हैं।
प्रदेश पुलिस ने तैयार किया इन्वैस्टीगेशन मैनुअल
उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब प्रोफैशनल ढंग से पुलिसिंग के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में बढ़ते साइबर क्राइम के मामलों की जांच कैसी करनी है, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के ऑर्डर क्या हैं, इसको लेकर 11 महत्वपूर्ण मामलों की इन्वैस्टीगेशन करके एक इन्वैस्टीगेशन मैनुअल बनाया है। इसे हर थाना में भेजा जा रहा है। इसको पढ़कर यह पता लगाया जा सकता है कि किस तरह से साइबर क्राइम के मामलों की तफ्तीश की जा सकती है।
ओवरऑल ऑल क्राइम में नहीं पड़ा ज्यादा फर्क
डीजीपी ने कहा कि प्रदेश में ओवरऑल क्राइम में ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है। उत्तरी क्षेत्र में मौतों और दुर्घटनाओं में कमी आई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में रेंज स्तर पर एसएचओ की बैठकें शुरू की गई थीं क्योंकि पुलिस का काम कमजोर था। अब हर 3माह में बैठकें करने से यह काम बेहतर हुआ है। बैठक में पुलिस के कार्यों की समीक्षा करके यह संभावना तलाशी जाती है कि और बेहतर कैसे किया जा सकता है।