12 सालों से नौकरी को दर-दर भटक रहे मृतक कर्मचारियों के आश्रित, नहीं हो रही सुनवाई

Edited By kirti, Updated: 17 Nov, 2018 09:53 AM

dependent of the deceased employees wandering from job to rate for 12 years

नगर निगम प्रशासन अपने ही मृतक कर्मचारियों के परिजनों के जख्मों पर मरहम नहीं लगा पाया है। सालों से मृतक कर्मचारियों के परिजन अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के लिए निगम कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। नगर निगम के पास वर्ष 2005 से अनुकंपा के आधार...

शिमला : नगर निगम प्रशासन अपने ही मृतक कर्मचारियों के परिजनों के जख्मों पर मरहम नहीं लगा पाया है। सालों से मृतक कर्मचारियों के परिजन अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के लिए निगम कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। नगर निगम के पास वर्ष 2005 से अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के लिए आवेदन लंबित पड़े हैं। हैरानी इस बात की है कि 28 से अधिक मामलों पर सभी औपचारिकताएं सालों पहले पूरी कर ली गई हैं लेकिन नगर निगम अब तक मृतक कर्मचारियों के परिजनों को नौकरी नहीं दे रहा है।

इसे एम.सी. के सामान्य विभाग की लचर कार्यप्रणाली कहें और या फिर नगर निगम प्रशासन की लापरवाही जिसका खमियाजा मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को भुगतना पड़ रहा है। आर.टी.आई. के तहत ली गई जानकारी के मुताबिक निगम की सामान्य शाखा के पास 28 मामले ऐसे हंै, जिनकी औपचारिकताएं पूरी हैं, जबकि 50 से अधिक मामले ऐसे हंै, जिनकी औपचारिकता पूरी की जा रही हैं।

ये मामले अब तक फाइलों में धूल फांक रहे हैं लेकिन सालों से आश्रितों को नौकरी नहीं दी गई है। हां यह जरूर है कि प्रशासन ने ऊंची पहुंच और रसूखदारों के दबाव के चलते इक्का-दुक्का कर्मियों के परिजनों को नौकरी दी है लेकिन शेष मामले अभी भी निगम के पास लंबित पड़े हैं। करीबन 12 सालों से अनुकंपा के आधार पर नौकरी की आस लगाए मृतकों के परिजनों के सब्र का बांध अब टूट चुका है। इनमें से कई आश्रित अब कानूनी लड़ाई लडऩे को तैयार हो गए हैं। नगर निगम की पानी, सीवरेज, आर. एंड बी. सामान्य शाखा सहित स्वास्थ्य शाखा में अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जानी है लेकिन नगर निगम अपने मृतक कर्मचारियों के परिजनों को पिछले 12 सालों से नौकरी नहीं दे पाया है।

नगर निगम के पास अनुकंपा के आधार पर रोजगार देने के लंबित पड़े मामलों का जल्द निपटारा करने की मांग निगम के कर्मचारी संघ प्रशासन व सरकार से कर चुके हैं। यही नहीं, निगम सदन में भी मामले को कई बार उठाया गया है लेकिन अभी तक मृतक कर्मचारियों के परिजनों को नौकरी नहीं दी गई हैं। 
 

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