बकरों की नीलामी से बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट की आय में इजाफा (Video)

Edited By kirti, Updated: 02 Feb, 2020 07:18 PM

हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर में मौजूद उतरी भारत का सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था व श्रद्धा का प्रतीक है। मंदिर में देश से ही नहीं, अपितु विदेशों से भी श्रद्धालु बाबा जी के चरणों में नतमस्तक होते हैं और आशीर्वाद प्राप्त...

हमीरपुर(ब्यरो): हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर में मौजूद उतरी भारत का सिद्धपीठ बाबा बालक नाथ मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था व श्रद्धा का प्रतीक है। मंदिर में देश से ही नहीं, अपितु विदेशों से भी श्रद्धालु बाबा जी के चरणों में नतमस्तक होते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जिस कारण दियोटसिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट की आय में निरंतर इजाफा हो रहा है। बता दें कि वर्ष 2019 में बाबा बालक नाथ के मंदिर ट्रस्ट ने बकरों की नीलामी से 1 करोड़ 32 लाख रुपये की आमदनी अर्जित की है। जो बीते वर्ष 2018 के मुकाबले में करीव 13 लाख रुपए अधिक है। हर वर्ष मंदिर के चढ़ावे में निरंतर इजाफा हो रहा है। मन्दिर ट्रस्ट द्वारा हर सप्ताह सोमवार और शुक्रवार के दिन को इन बकरों की नीलामी की जाती है। जबकि चैत्र मास मेलों में सप्ताह में तीन दिन बकरों की नीलामी की जाती है।
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मन्दिर में बकरों को चढ़ाने की मान्यता
वहीं श्री श्री 1008 महंत राजेंद्र गिरी जी महाराज की माने तो उन्होंने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार बाबा बालक नाथ जी जब शाहतलाई से दियोटसिद्ध पहुंचे तो उन्होंने एक गुफा में आश्रय लिया। इस गुफा में पहले से ही एक नारसिंह नामक राक्षस निवास करता था। बाबा जी ने राक्षस से अपना स्थान छोड़ने के लिये कहा , इस पर राक्षस ने कहा कि मुझे अपना स्थान छोड़ने से क्या लाभ होगा। क्योंकि मैं एक राक्षस हूं और मांस इत्यादि खा कर अपना गुजरबसर करता हूं। लेकिन बाबा बालक नाथ जी के समझाने पर राक्षस मान गया। बाबा जी ने राक्षस से कहा कलयुग में श्रद्धालुओं द्वारा आपको जिंदा बकरें चढ़ाये जाएंगे जिनकी सुगंध मात्र से ही आपकी भूख मिट जाएगी। तभी से ही मंदिर में बकरे चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई।

इसी परंपरा को आगे निभाते हुए लोग आज भी अपने बच्चों की सुख शांति के लिए और मनोकामनाएं पूर्ण होने पर मंदिर में जीवित बकरों को छोड़ते हैं। वहीं मन्दिर अधिकारी ओ पी लखनपाल ने बताया कि मंदिर ट्रस्ट द्वारा वर्ष 2018 में 5,825 बकरों की नीलामी की गई । जिससे मंदिर ट्रस्ट को 1 करोड़ 19 लाख 52 हजार 700 रुपये आय अर्जित हुई थी। जबकि वर्ष 2019 में श्रद्धालुओं द्वारा 6,371 बकरों को मंदिर में चढ़ाया गया। जिससे मन्दिर ट्रस्ट को 1करोड़ 32 लाख 15 हजार 400 की आय प्राप्त हुई। मंदिर की अर्जित आय से ट्रस्ट द्वारा श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाई जाती हैं।

 

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