'रक्षा मंत्रालय से छावनी परिषदों को भंग करने की मांग'

Edited By Ekta, Updated: 08 Jan, 2019 11:05 AM

demand for dissolution of cantonment councils from the ministry of defense

सांसद वीरेंद्र कश्यप ने प्रदेश की 4 छावनी परिषदों को भंग कर इनकी गैर सैन्य आबादी को नागरिक प्रशासन के अधीन लाने की मांग की है। उन्होंने इसके लिए केंद्रीय रक्षा मंत्रालय से छावनी कानून 2006 को निरस्त करने की मांग की है। रक्षा संपदा महानिदेशक की तरफ...

शिमला (कुलदीप): सांसद वीरेंद्र कश्यप ने प्रदेश की 4 छावनी परिषदों को भंग कर इनकी गैर सैन्य आबादी को नागरिक प्रशासन के अधीन लाने की मांग की है। उन्होंने इसके लिए केंद्रीय रक्षा मंत्रालय से छावनी कानून 2006 को निरस्त करने की मांग की है। रक्षा संपदा महानिदेशक की तरफ से छावनी परिषदों के अध्ययन के उद्देश्य से गठित विशेषज्ञ समिति को सौंपे ज्ञापन में सांसद ने अपने संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली जतोग, डगशाई, कसौली तथा सुबाथू छावनी परिषदों को तुरंत भंग करने की मांग की है। उन्होंने मांग की कि 2006 के छावनी कानून को भंग करके सरकार को इसके स्थान पर संसद में नया कानून बनाना चाहिए। 

उन्होंने तर्क दिया कि गैर सैन्य आबादी की समस्याओं को कई बार छावनी परिषदों में तैनात सेना के अधिकारी बहुत अधिक ध्यान नहीं देते, जिससे परेशानी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि छावनी परिषदों में रह रहे लोगों को उनके निकटतम नगर निगम, नगर परिषद या नगर पंचायत की तर्ज पर ही आवास कर व पानी के बिलों की अदायगी की सुविधा के अतिरिक्त केंद्र व राज्य सरकारों की तरफ से शुरू की गई समाज कल्याण की योजनाओं की सुविधा का प्रावधान भी कानून में होना चाहिए।

उन्होंने छावनी परिषदों के विकास के लिए स्मार्ट सिटी की तर्ज पर योजनाएं बनाने के मकसद से मास्टर प्लान बनाने की मांग भी की है। उन्होंने कहा कि रक्षा संपदा महानिदेशक को साल में एक बार सभी 62 छावनी परिषदों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर समस्याओं के समाधान के साथ अन्य मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा।

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