हिमाचल कोटे से एम.बी.बी.एस. में प्रवेश मामले में फैसला सुरक्षित

Edited By Vijay, Updated: 26 Jun, 2018 10:53 PM

decision in the matter of admission in mbbs from himachal quota secured

हाईकोर्ट ने हिमाचल कोटे से एम.बी.बी.एस. सीट के लिए राज्य से बाहर रहने वाले हिमाचली याचिकाकत्र्ताओं को शैक्षणिक सत्र में दाखिला देने के आग्रह को लेकर दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

शिमला: हाईकोर्ट ने हिमाचल कोटे से एम.बी.बी.एस. सीट के लिए राज्य से बाहर रहने वाले हिमाचली याचिकाकत्र्ताओं को शैक्षणिक सत्र में दाखिला देने के आग्रह को लेकर दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। न्यायाधीश धर्म चंद चौधरी व न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने हिमाचल कोटे से नीट परीक्षा पास करने वाले प्राॢथयों द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई के दौरान उपरोक्त आदेश पारित किए। न्यायालय ने मामलों पर प्रारम्भिक सुनवाई के दौरान याचिकाकत्र्ताओं को दाखिले के लिए आवेदन 20 जून तक जमा करने की अनुमति प्रदान की थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यह अनुमति केवल अस्थायी है और इसे काऊंसङ्क्षलग मे भाग लेने या दाखिले के लिए अधिकार के तौर पर न समझा जाए।


प्रार्थियों ने इस वर्ष उत्तीर्ण की थी नीट परीक्षा
मामले के अनुसार प्रार्थियों ने एम.बी.बी.एस. कोर्स के लिए इस वर्ष आयोजित नीट परीक्षा उत्तीर्ण की थी। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने वर्ष 2018-19 के एम.बी.बी.एस. कोर्स के लिए प्रोस्पैक्टस जारी किया था, जिसमें एडमिशन के लिए जरूरी निर्देश शामिल किए थे। 13 जून, 2018 को निदेशक मैडीकल एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा जारी प्रोस्पैक्टस में शर्त लगाई गई कि जिस विद्यार्थी ने प्रदेश के किसी स्कूल से जमा दो या कोई 2 कक्षाएं पास न की हों उन्हें हिमाचल कोटे के तहत दाखिला नहीं दिया जाएगा। इस शर्त में बाहरी राज्यों में सेवाएं देने वाले सरकारी कर्मियों के बच्चों को छूट दी गई थी परन्तु निजी व्यवसाय अथवा निजी कंपनियों में कार्यरत कर्मियों के बच्चों के लिए ऐसी छूट का कोई प्रावधान नहीं रखा गया।


मिलना चाहिए छूट का फायदा
प्रार्थियों का कहना है कि वे हिमाचली हैं परन्तु उनके अभिभावकों के व्यवसाय अथवा नौकरियां प्रदेश से बाहर निजी संस्थानों में होने के कारण उन्हें प्रदेश से बाहर के स्कूलों में पढऩा पड़ा इसलिए उन्हें भी उपरोक्त छूट का फायदा मिलना चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों की बहस पूरी होने पर फैसला सुरक्षित रख लिया। अब कोर्ट के फैसले पर ही निर्भर करेगा कि याचिकाकर्ताओं को एम.बी.बी.एस कोर्स में दाखिला दिया जाएगा या नहीं।

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