दर्दनाक हादसा : मछलियों को आटा डालने गए भाई-बहन की ब्यास नदी में डूबने से मौत

Edited By Vijay, Updated: 05 Apr, 2019 07:40 PM

death of brother sister from drown in beas river

ज्वालाजी के साथ लगते चम्बापत्तन के पास ब्यास नदी में मछलियों को आटा डालने गए भाई-बहन की नदी में डूबने से मौत हो गई है। मृतकों की पहचान संदीप कुमार (16) व निशा (13) के रूप में हुई है जोकि गाहलियां पंचायत निवासी सुरेश कुमार के बेटा व बेटी थे। उक्त...

ज्वालामुखी (नितेश): ज्वालाजी के साथ लगते चम्बापत्तन के पास ब्यास नदी में मछलियों को आटा डालने गए भाई-बहन की नदी में डूबने से मौत हो गई है। मृतकों की पहचान संदीप कुमार (16)  व निशा (13) के रूप में हुई है जोकि गाहलियां पंचायत निवासी सुरेश कुमार के बेटा व बेटी थे। उक्त हादसे के बाद पूरे गांव मे मातम पसर गया है। पुलिस ने दोनों शवों को ब्यास से निकालकर कब्जे लिया तथा आई.पी.सी. की धारा 174 के तहत मामला दर्ज कर आगामी कारवाई शुरू कर दी है। डी.एस.पी. तिलक राज ने मामले की पुष्टि की है।

ऐसे पेश आया हादसा

जानकारी के अनुसार यह हादसा शुक्रवार दोपहर 2 बजे के लगभग पेश आया। पुलिस के अनुसार ज्वालाजी क्षेत्र के गाहलियां पंचायत के एक परिवार के 3 बच्चे शुक्रवार दोपहर को चम्बापत्तन स्तिथ ब्यास नदी में मछलियों को आटा डालने के लिए गए हुए थे कि इसी बीच निशा का व्बस नदी के किनारे पांव फिसल गया और वह पानी में गिर गई। वहीं बहन के ब्यास नदी में डूबने के बाद उसके भाई ने उसे बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी लेकिन इस दौरान दोनों ही डूब गए।

सुरेश की तीसरी बेटी ने राहगीरों को दी घटना की सूचना

इस बीच यहां सुरेश कुमार की तीसरी नाबालिग बेटी शिल्पा, जिसकी उम्र मात्र 11 साल है, उसने रोते-रोते हुए सड़क पर आकर राहगीरों को घटना के बारे में बताया तो उन्होंने इसकी सूचना ज्वालाजी पुलिस व उसके परिजनों को दी। थाना प्रभारी ज्वालाजी पुरषोत्तम धीमान के नेतृत्व में मौके पर पहुंचे ए.एस.आई. दूनी चंद व उनकी टीम ने स्थानीय लोगों के सहयोग से दोनों बच्चों के शव ब्यास नदी से निकालकर अपने कब्जे में लिए, साथ ही उन्हें पोस्टमार्टम के लिए टांडा मैडीकल कॉलेज भेज दिया है ताकि मौत के सही कारणों का पता लग सके।

9वीं कक्षा में हुई थी बेटी, बेटा सीख रहा था काम

जानकारी के अनुसार सुरेश कुमार का 16 वर्षीय बेटा संदीप कुमार पढ़ाई छोड़ कर किसी दुकान में हार्डवेयर संबंधित काम सीख रहा था जबकि बेटी निशा अभी 9वीं कक्षा में हुई थी। इस हादसे ने जहां एक परिवार को पूरी तरह बिखेर कर रख दिया है, वहीं परिजन इस हादसे के बाद सदमे से बाहर नही निकल पा रहे हैं ओर उनका रो-रो कर बुरा हाल है। काल ने एक ही पल में दोनों बच्चों को अपने पंजे में ले लिया। परिजनों का बस यही कहना है कि यदि बच्चे मछलियों को आटा डालने नहीं गए होते तो आज वे उनके सामने होते।

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