वर्षालय में दिन काट रहा 74 वर्षीय सुखदेव

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Sep, 2017 01:19 AM

daulatpur chowk  rainfall  74 year old sukhdev

बुढ़ापे में वृद्ध सुखदेव सिंह की बेसहारा जिंदगी समुद्र की मंझधार में फंसी उस किश्ती जैसी हो गई है जिसे डूबता हुआ तो हर कोई देख रहा है लेकिन मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है।

दौलतपुर चौक : बुढ़ापे में वृद्ध सुखदेव सिंह की बेसहारा जिंदगी समुद्र की मंझधार में फंसी उस किश्ती जैसी हो गई है जिसे डूबता हुआ तो हर कोई देख रहा है लेकिन मदद के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि किनारों पर खड़े लोग डींगें तो बड़ी-बड़ी हांक रहे हैं लेकिन मदद के लिए कोई आगे नहीं आया है। ऐसे लोग किश्ती के समुद्र के आगोश में समाने के मंजर का इंतजार जरूर करते हैं। कुछ ऐसी ही दास्तान अम्ब उपमंडल के अंतर्गत एक गांव के वृद्ध सुखदेव सिंह उर्फ सीता राम की है। अम्ब उपमंडल के अंतर्गत एक गांव के वृद्ध सुखदेव सिंह (74) उर्फ सीता राम बेसहारा ही नहीं बल्कि अक्षम भी है। सुखदेव सिंह को दिखाई भी कम देता है। बेसहारा बुजुर्ग अपने गांव से करीब 20 कि.मी. दूर दोसड़का नैहरियां से गुजर रहे राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर बने वर्षालय में आश्रय लेकर अपनी जिंदगी के अंतिम दिन काट रहा है। इस सड़क मार्ग से प्रतिदिन दर्जनों अधिकारियों से लेकर कई बुद्धिजीवी तक सफर करते हंै लेकिन 2 माह से इस वृद्ध के दुख-दर्द को समझने के लिए किसी के पास समय नहीं है। वृद्ध सुखदेव सिंह की मानें तो बुढ़ापे में अब दुनिया का कोई सहारा नहीं है। आंखों से छलकते आंसुओं के साथ वृद्ध सुखदेव सिंह वहां एक कोने में पड़े रेडियो की तरफ इशारा करता है कि अब यही एक सहारा है। वर्षालय में एक चारपाई पर मैले कुचेले बिस्तर पर पड़े सुखदेव सिंह को देखकर हर किसी का मन पसीज जाता है। वह अब भोजन के लिए भी तरस रहा है। यह वृद्ध अपने आपको दलित समुदाय से संबंधित बताता है। ऐसे उदाहरण हमारे उस जागरूक समाज के मुंह पर करारी चोट करते हैं जो समाज सजग और समाजसेवी होने का दम भरता है। समाज, प्रशासन से लेकर सरकार तक यंू तो हर वर्ग के उत्थान को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन धरातल पर ऐसे दावे महज कोरी घोषणाएं ही साबित होती हैं।
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रिश्तेदार भी नहीं लेते अब सुध
राष्ट्रीय उच्च मार्ग अम्ब के समीप दोसड़का नैहरियां के वर्षालय में रह रहा वृद्ध सुखदेव सिंह जोकि बेसहारा और चलने-फिरने में भी लाचार है। अब अपने रहमों करम पर जी रहा है। रुंधे गले से वृद्ध बताता है कि प्रतिदिन सुबह उसे अम्ब का ठेकेदार सर्वजीत सिंह व रात का खाना  सामने दुकानदार वीना देवी दे जाती है। बस अब इन्हीं 2 अजनबी लोगों के सहारे जिंदगी गुजर रही है। वीना देवी ने बताया कि अब यह वृद्ध इतना बेबस और लाचार हो गया है कि शौच आदि के लिए भी नहीं उठ सकता है। वह उसे बीमार होने की अवस्था में दवाई भी दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि पहले कभी-कभार इस वृद्ध के रिश्तेदार भी आते थे लेकिन अब कई दिनों से वह भी नहीं आए हैं। पंचायत प्रधान ने कहा कि उक्त वृद्ध व्यक्ति उनकी पंचायत से संबंधित नहीं है। मगर फिर भी प्रशासन को ऐसे बेसहारा वृद्ध को आश्रय प्रदान करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।

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